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भूमिका खण्ड
उल्लेख ही हुआ है । अन्य हिन्दी एवं गुजराती के सामान्य ग्रन्थों में अपने-अपने प्रदेश विशेष के कवियों और उनके कृतित्व का परिचय मिल जाता है । इनमें कुछ कवि ऐसे अवश्य निकल आये हैं जिनका सम्बन्ध विशेषतः गुजरात और राजस्थान दोनों प्रांतों से रहा है । डॉ० कस्तूरचन्द कासलीवाल के ग्रन्थ "राजस्थान के जैन सन्त" में कुछ जैन सन्त मूलतः गुजरात के ही रहे हैं। डॉ० कस्तूरचन्दजी भी इनके व्यक्तित्व और कृतित्व के परिचय से आगे नहीं बढ़े हैं । हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन में जैन कवियों के मूल्यांकन का स्वर थोड़ा ऊँचा अवश्य रहा है, पर यह मूल्यांकन समस्त हिन्दी जैन साहित्य को लेकर हुआ है । जिसमें आनन्दघन और यशोविजयजी जैसे अत्यल्प जैन- गुर्जर कवियों को स्थान मिला है, शेष अनेक महत्वपूर्ण कवि रह गये हैं ।
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सम्पादित अथवा संकलन ग्रन्थों में विशेषतः विभिन्न कवियों की फुटकर रचनाओं को ही संगृहीत व सम्पादित किया गया है । एतत्सम्वन्धी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित सभी लेखों में गुजरात के जैन साहित्य और कवियों से सम्बन्धित विषय अत्यल्प ही रहा है ।
सामग्री प्राप्ति के स्रोत :
गुर्जर जैन कवियों की हिन्दी कविता के अध्ययन के लिए प्राप्त सामग्री को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है । यथा
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(क) संकलित सामग्री ( प्रकाशित एवं अप्रकाशित ) । - ( ख ) परिचयात्मक सामग्री ( प्रकाशित एवं अप्रकाशित ) (ग) अलोचनात्मक सामग्री ( प्रकाशित एवं अप्रकाशित ) (क) संकलित सामग्री :
अवश्य बनी हुई है। स्वतन्त्र रूपेण संग्रह
जैन- गुर्जर कवियों की समग्र हिन्दी कविता का व्यवस्थित रूप से अब तक सम्पादन नहीं हो सका है । अधिकांश ऐसी प्राप्त सामग्री गुजराती ग्रन्थों में गुजरात कविता के बीच-बीच ही उपलब्ध होती है । अत: यह आवश्यकता कि गुजरात के अंचल में आवृत्त समग्र हिन्दी जैन साहित्य का एवं सम्पादन किया जाय । इस प्रकार के साहित्य के प्रकाशन में गुजरात वर्नाक्यूलर सोसायटी ( अहमदावाद); फा० गु० स० (बम्बई ) म० स० विश्वविद्यालय, बड़ौदा, साहित्य शोध विभाग, महावीर भवन, जयपुर श्री जैन श्वेताम्वर कान्फरन्स आफिस, बम्बई; श्री जैन धर्म प्रसारक सभा, भावनगर; श्री अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मंडल, बम्बई; सादूल राजस्थानी रिसर्च इन्स्ट्रीट्यूट, बीकानेर, शो० बावचन्द गोपालजी, बम्बई आदि संस्थाओं का विशिष्ट योगदान रहा है । गुजराती के जैन कवियों की अप्रकाशित वाणी प्रायः निम्न स्थानों में उपलब्ध होती है