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आलोचना-खंड
खान सुलतान उमराव राव राना आन,
किशन अजान जान कोउ न रही सके, सांझरू विहान चल्यो जात है जिहान तातें,
हमहू निदान महिमान दिन दस के ॥२०॥ डिंगल भाषा:
"भोगवि किते भू किता भोगवसी, मांहरी मांहरी करइ भरै । ऐंठी तजि पातलां उपरि, कुंवर मिलि मिलि कलह करें ॥१॥ धपटी धरणी केतेइ धूसी, धरि अपणाइत कइ ध्र वै । घोवा तणी शिला परि धोबी, हुं पति हुँ पति करै हुवै ॥२॥"२
-धर्मवर्धन खड़ी बोली : "वे मेवरे, कोहरी सेवरे, अरे कहां जात हो उतावरे,
टुक रहो न खरे । हम जाते वीकानेर साहि जहांगीर के भेजे, हुकम हुया फुरमाण जाइ मानसिंध कु देजे । सिद्ध साधक हउ तुम्ह चाह मिलणे की हमकु,
वेगि आयउ हम पास लाभ देऊंगा तुम कु ॥१॥"--समयसुन्दर३ सिन्धी भाषा : "साहिब मइडा चंगी सूरति; आ रथ चढ़ीय आवंदा हे भइणा ।
नेमि मइकु भावंदा है । भावंदा हे मइकु भावंदा है, नेमि असाढ़े भावंदा है । १ ।
आया तोरण लाल असाड़ा, पसुय देखि पछिताउंदा हे भइणा ! २।"४ पंजाबी भाषा:
" मूरति मोहणगारी दिठ्ठडां आवै दाय । चरण कमल तड्डे सोहियां, मन ममर रह्ययो लोभाय ॥१॥ सनेही पास जिणंदा वे, अरे हा सलूणे पास जिणंदावे ।
१. गुजराज के हिन्दी गौरवग्रंथ, डॉ० अंवाशंकर नागर, उपदेश बावनी, पृ० १६५ २. धर्मवर्द्धन ग्रंथावली, अगरचन्द नाहटा, पृ० १०८ ३. समयसुन्दर कृत कुसुमांजली, अगरचन्द नाहटा, पृ० ३६३ ४. समयसुन्दर कृत, कुसुमांजली, अगरचेन्द नाहटा, पृ० १३२