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जैन गूर्जर कवियो की हिन्दी कविता
आध्यात्मिक विवाह :
इन कवियों के आध्यात्मिक विवाह के प्रसंगों को इसी प्रेम के संदर्भ में लिया जा सकता है । 'दीक्षा कुमारी' अथवा 'संयमश्री' के साथ विवाहों के वर्णन करने वाले कई रास जैन कवियों ने रचे हैं, जिनमें से कई 'ऐतिहासिक काव्य संग्रह' में संकलित हैं । इस प्रकर की रचनाओं में श्रावक ऋषभदास का "आदीश्वर वीवाहला' प्रसिद्ध रचना है | भगवान ने विवाह के समय चुनडी ओढ़ी थी, ऐसी चुनडी बनवा देने के लिए अनेक पत्नियां अपने पतियों से प्रार्थना करती रही हैं । तीर्थङ्करों की चारित्र रूपी चुनडी को धारण करने के संक्षिप्त वर्णनों के लिए ब्रह्म जय सागर की 'चुनडी गीत' तथा समयसुन्दर की 'चारित्र चुनडी' महत्वपूर्ण रचनाएँ हैं । साधुकीति की 'चुनडी' भी प्रसिद्ध रचना है, जिसमें संगीतात्मक प्रवाह है । कवि कुमुदचंद्र कृत 'आदिनाथ (ऋषभ) विवाहलों' रचना में कवि ने अपने आराध्य देव का दीक्षा कुमारी, संयम श्री अथवा मुक्तिव से विवाह कराया है । कवि का यह सुन्दर खण्डकाव्य है, जिसमें वर-वधू का सौंदर्य वर्णन तथा विवाह में बनी सुस्वादु मिठाइयों का भी उल्लेख है । १ नेमी- वर- राजुल का प्रेम
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नेमीश्वर एवं राजुल के प्रेम के कथानक को लेकर इन भक्त कवियों ने दाम्पत्य रति के माध्यम से अपनी भक्ति भावना की अभिव्यक्ति की है। जहां विवाह के लिए राजुल को सजाया गया है वहां मृदुल काव्यत्व फूट पड़ा हैं । एक तरफ विवाह मण्डपम वधू प्रिय के आगमन की प्रतीक्षा कर रही है, दूसरी ओर नेमी पिंजड़ों में वन्द मूक- पशुओं की करुण पुकार सुनकर अपनी वरातं वापस लौटा लेते हैं और संयम धारण कर लेते हैं । इस समय राजुल के मन में उठी तिलमिलाहट, व्यग्रता एवं पति को पालने की बेचनी आदि सूक्ष्म भावनाओं का स्वाभाविक चित्र हेमविजय की कविता में अति हो उठा है । २ निःसंदेह ऐसे चित्र अन्यत्र वहुत कम मिलते हैं । नेमिनाथ और राजुल के प्रसंग को लेकर फाग काव्यों की भी रचना हुई है । ऐसे फागों में संयोग और वियोग की विभिन्न भाव - दशाओं के अच्छे वर्णन प्राप्त होते हैं । वीरचंद्र त्रिरचित 'वीर विलास फाग' के अन्य सुन्दरतम् वर्णनों के साथ राजुल - विलाप का प्रसंग भी उल्लेखनीय है । विरह की इस मार्मिक दशा के प्रति हर पाठक की समवेदना वरस पड़ती है
" कनकमि कंकण मोड़ती, मोड़ती मिणि सिंहार । लू चती केश कलाप, विलाप करि अनिवार ||७०||
९. इसी ग्रंथ का दूसरा प्रकरण, कुमुदचंद |
२. इसी ग्रंथ का दूसरा प्रकरण, विजय |