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________________ जैन गूर्जर कवियों की हिन्दी कविता १६६ रूपी अंजन लगाया है। सहज स्वभाव रूपी चूड़ियां, स्थिरता रूपी भारी कंगन, वक्ष पर ध्यान रूपी उरवसी (गहना) धारण की है तथा प्रिय के गुणों रूपी मोती की माला गले में पहनी है। सुरत रूप सिंदूर मांग में भरा है और बड़ी सावधानी से निरति रूपी वेणी संवारी है। आत्मा रूपी त्रिभुवन में आनन्द-ज्योति प्रगट हुई है और केवल ज्ञान रूपी दर्पण हाथ में लिया है। उस प्रकाशमान ज्योति से वातावरण झिलमिला उठा है। वहां से अनहद का नाद भी उठने लगा है । अब तो उसे लगातार एकतान से पिय-रस का आनंद सराबोर कर रहा है। प्रिय मिलन के लिए आतुर बनी सुहागिन की यह साज-सज्जा का रूपक दाम्पत्य भाव का उज्ज्वल प्रमाण है ।१ कभी भक्त की विरहिणी मिलनातुर बनी अपनी तड़फन अभिव्यक्त करती है । आनंदघन की विरहिणी अपने कंचनवर्णी प्रिय के मिलन के लिए विरहातुर हो उठी है, उसे किसी प्रकार का शृङ्गार नहीं भाता । न आँखों में अंजन लगाना अच्छा लगता है न और किसी प्रकार का मंजन या शृङ्गार । पराये मन की अथाह विरह वेदना कोई स्वजन ही जान सकता है। शीतकाल में बन्दर की तरह देह थर-थर कांप रही है । विरह में न तो शरीर अच्छा लगता है, न घर और न स्नेह ही, कुछ भी ठीक नहीं लगता, अब तो एक मात्र प्रिय आकर वांह पकड़ें तो दिन रात नया उत्साह आ सकता है "कंचन वरणो नाह रे, मोने कोई मेलावो; अजन रेख न आंखड़ी भावे, मंजन गिर पड़ो दाह रे ।। कोई सयण जाणे पर मननी, वेदन विरह अथाह । थर थर देहड़ी ध्रुजे माहरी, जिम वानर भरमाह रे ।। -- - १. आज सुहागन नारी, अवधू आज सुहागन नारी; मेरे नाथ आप सुध लीनी, कीनी निज अङ्गचारी ॥१॥ प्रेम प्रतीत राग रुचि रंगत, पहिरे जीनी सारी ।। महिंदी भक्ति रंग की राजी, भाव अंजन मुखकारी ।।२।। सहज सुमाव चूरियां पेनी, धिरता कंकन मारी। ध्यान उरवशी उर में राखी, पिय गुन माल अधारी ॥३॥ सुरत सिंदूर मांग रंग राती, निरते बेनी समारी। उपजी ज्योत उद्योत घट त्रिभुवन, आरसी केवल धारी ॥४॥ उपजी धुनी अजपाकी अनहद, जिम नगारे वारी। झड़ी सदा आनंदघन वरसत, वनमोर एक न तारी ।।५।। आनन्दघन पग संग्रह, अध्यात्म ज्ञान प्रसारक मडल, बम्बई, पद २० पृ० ४६ ।
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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