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परिचय खट
समानाधिकार था । संस्कृत में विनिर्मित उनके साहित्य से सिद्ध है कि वे उच्चकोटि के विद्वान तथा कवि थे। 'कल्पसूत्र' और 'उत्तराध्ययन' की कृतियां लिखने वाला कोई साधारण विद्वान नहीं हो सकता।
कवि की हिन्दी रचनाओं पर गुजराती का प्रभाव स्पष्ट लक्षित है। भाषा परिमार्जित संस्कृत-तत्सम शब्द बहुला है। गुजराती-राजस्थानी में इनके कई रान स्तवनादि प्राप्त हैं । इनकी हिन्दी रचनाएं निम्न हैं(१) चौवीसी, २५ पद,
(७) नेमिराजुल बारहमासा (२) महावीर गौतम स्वामी छन्द ६६ पद्य (6) नवतत्व चौपाई (३) दोहा बावनी
(8) उपदेश वतीनी (४) काव्यज्ञान-पद्यानुवाद
(१०) चेतन वत्तीनी (५) सर्वया वावनी
(११) देशान्तरी छन्द, तथा (६) भावना विलास
(१२) अध्यात्म फाग । इनके अतिरिक्त राजवावनी सं० १७६८, जिनस्तवन २४ सवैया तथा कुछ फुटकर पद्यादि प्राप्त है जिसका उल्लेख 'हिन्दी साहित्य' (द्वितीय ग्बंड ) में हुआ है। १ श्री नाहटाजी ने भी इस कविकी अनेक कृतियां गिनाई हैं। यया 'अभ्यंकर श्रीमती चौपई,' 'रत्नहास चौपई,' 'अमरकुमार रास,' 'विक्रमपंचदंड चौपड़,' 'रात्रिभोजन चौपई,' 'कवित्व वावनी,' 'छप्पय बावनी,' 'भरतबाहुबली मिडाल छन्द, कुण्डलिया, 'श्री जिनकुशलसूरिछंद,' 'बीकानेर चोवीसठा-स्तवन,' शतक व्यठबा और स्तवनादि फुटकर कृतिर्या आदि।
श्री मोहनलाल दलिचन्द देसाई ने इस कवि की छोटी बड़ी कुल मिलाकर करीब २० कृतियों का उल्लेख किया है । २
हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी और संस्कृत की इस विपुल माहित्य सर्जना को देखते हुए लगता है कवि असाधारण प्रतिभा सम्पन्न रहा होगा। यहां इनको प्रमुख रचनाओं का संक्षिप्त परिचय दिया दिया है ।
'चौवीसी' में चौवीस तीर्थकरों की भक्ति से सम्बन्धित स्तवन संगृहीत हैं । कुल पद्य संख्या २५ है। इसकी दो प्रतियां अभय जैन पुस्तकालय, बीकानेर में हैं। राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रंथों की खोज, भाग ४ में भी इन दोनों प्रतियों का उल्लेख है। ३ दोनों प्रतियों में चार-चार पन्ने हैं। पदों की रचना विभिन्न १ हिन्दी साहित्य, द्वितीय खंड, संपा० धीरेन्द्र वर्मा पृ० ४८६ . २ जैन गूर्जर कविओ, भाग ३, खण्ड, २ पृ० १२४६-५५ ३ राजस्थान में हिन्दी के हस्तलिखित ग्रंथों की खोज, भाग ५, पृ० २२-२३