SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 135
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन गूर्जर कवियों की हिन्दी कविता १३३ . जैनधर्मी कवि.आनन्दघन की इस कृति में असम्प्रदायिक दृष्टि से ज्ञान, वैराग्य एवं भक्ति की त्रिवेणी प्रवहमान है, इसमें धर्म-सम्प्रदाय की सीमाएं नहीं है, "स्व" के आचरण पर "स्व" के विवेक का अंकुश वर्तमान है, परभाव का त्याग और आत्म परिणति की निर्मलता प्रत्येक जीव में उद्बुद्ध करने की प्रवृति है। इसी उद्बोयन के परिवेश में सुमति और शुद्ध चेतना आदि पात्र जन्में है । मूढ मानवों की मायाप्रियता दर्शाते हुए कवि सहज भाव से ऊँचे घाट की वाणी मुखरित कर देता है "वहिरातम मूढा जग तेता, माया के फंद रहेता । घट अन्तर परमातम घ्यावे, दुर्लभ प्राणी तेता ॥" 'आनन्दघन में संतो के-से अभेद भाव की अभिव्यक्ति अनेक स्थलों पर हुई है। इनके काव्य में राम-रहमान, कृष्ण-महादेव, पारसनाथ आदि अद्वैत रूप में प्रतिष्ठित है, नामभेद होते हुए भी सभी एक है, ब्रह्म हैं "राम कहो रहमान कहो कोउ, कान कहो महादेव री, पारसनाथ कहो कोउ ब्रह्म, सकल ब्रह्म स्यवमेव री। भाजन भेद कहावत नानो एक मृतिका रूप री, तैसे खण्ड कल्पना रोपित आप अखण्ड सरूप री। 'निज पद रमे राम सो कहिए, रहीम कहे रहमान री, कर कर कान सो कहिये, महादेव निर्वाण री। परसे रूप पारस सो कहिये, ब्रह्म चिन्हे सो ब्रह्म री, इह विध साचो आप आनन्दघन, चेतनमय निःकर्म री ॥६७॥" आनन्दधन में जहां एक ओर "मैं आयी प्रभु सरन तुम्हारी, लागत नाहीं घको" के द्वारा वैष्णवी प्रपति के दर्शन होते हैं, वहां कबीर का-सा ज्ञान भी दिखाई देता है "अवधू ऐसो ज्ञान विचारी, वामे कोण पुरुष कोण नारी ॥ वम्मन के घर न्हाती घोती, जोगी के घर चेली ।। कलमा पढ़-पढ़ मई तुरकडी तो, आप ही आप अकेली ॥" आदि । अवधू को सम्बोधित करते हुए कवि कबीर की वाणी में ही बातें करता प्रतीत होता है अवधू सो जोगी गुरु मेरा, इन पद का करे रे निवेडा । तरुवर एक मूल · बिन छाया, विन फूले फल लागा ।। शाखा पत्र नहीं कछु उनकु, अमृत गगने लागा ॥" आदि ।
SR No.010190
Book TitleGurjar Jain Kavio ki Hindi Sahitya ko Den
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHariprasad G Shastri
PublisherJawahar Pustakalaya Mathura
Publication Year1976
Total Pages353
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy