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प्राचीन आचार्य परम्परा
करके भी श्रुत सम्पदा को क्रूर दुष्काल में विनिष्ट होने से बचाया । उन्होंने दूरगामिनी पंद यात्रा से अध्यात्मको विस्तार दिया और भगवान महावीर के भवसंतापहारी सन्देश को जन जन तक पहुंचाया ।
भगवान महावीर से अब तक के ग्राचार्यों का युग महान गरिमा मय है । जो इस युग में अध्यात्मक योगियों को धारा भी गतिशील बनी हुई है ।