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दिगम्बर जैन साधु
मुनिश्री दर्शनसागरजी महाराज
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मुनिश्री सन्मतिसागरजी महाराज ( अजमेर)
नीति से धनोपार्जन कर बाजार में अपनो के सभी श्रावश्यक कार्य पूजन प्रक्षाल आने दी ।
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मुनि श्री का जन्म भारतवर्ष की राजधानी दिल्ली में हुवा था आपके पिता का नाम श्री सूरजभानजी जैन अग्रवाल तथा मां श्री का नाम श्रीमति रतनमालाजी जैन था श्रापने ६ फरवरी १९७२ को मुनि श्री निर्मलसागरजी से क्षुल्लक दीक्षा ली कुछ वर्षो के पश्चात् आपने मुनि दीक्षा ले ली ।
मुनि श्री सन्मतिसागरजी महाराज का जन्म राजस्थान के सुप्रसिद्ध नगर अजमेर में खण्डेलवाल जैन समाज के वज गौत्रिय परिवार में सौभाग्यशाली श्रीमान् सेठ फूलचन्दजी की धर्मपत्नी श्रीमती जोधीबाई की कुक्षि से भाद्रपद शु० सप्तमी वि० सं० १९६८ को हुआ । दम्पत्ति ने बड़े प्यार से संतान का नाम रखा "भंवरीलाल" । श्रौर वगैर यह देखे कि संसार भंवर में फंसी प्राणियों की नँया को भंवरलाल कैसे निकालता है, उसे डेढ़ वर्ष का ही छोड़कर संसार से विदा हो लिये । फलतः आपके पालन-पोषण का भार चाचा श्री मानमल जैन के कंधों पर आ पड़ा । काल क्रम से आप प्रारम्भिक लौकिक और धार्मिक शिक्षा समाप्त कर निजी व्यवसाय में लग गये । व्यापार में न्याय साख जमा ली । व्यवसाय करते हुए भी आपने जैन श्रावक सामायिक शास्त्र श्रवण आदि में कभी शिथिलता नहीं