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दिगम्बर जैन साधु
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एकादशी वि० सं० २०२६ को तीर्थक्षेत्र वाराणसी (उत्तरप्रदेश ) में मुनि सन्मतिसागरजी से मुनि दीक्षा ली । आप अत्यन्त सरल स्वभावी हैं, श्राप अनेकों स्थलों पर विहार कर आत्म साधना के साथ धर्म प्रभावना कर रहे हैं ।
मुनि श्री योगेन्द्रसागरजी महाराज
आपका ( श्री रमेशचन्द्र शर्मा का ) जन्म सन् १९६१ मार्च में श्री फौदलप्रसादजी शर्मा के यहां नबालीपुर ( M. P.) में हुवा था । श्रापने जन्म से ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर के जैन धर्म की शिक्षा ग्रहण की । आपने लौकिक शिक्षा हायर सैकेण्डरी तक की । दिगम्बर जैन साधुनों की संगति से आपके अन्दर जिनधर्म के प्रति रुचि उत्पन्न हुई तथा आपमें मुनि संयमी जीवन व्यतीत करने की भावना जागृत हुई आपने २५-२-७६ ई० चन्देरी (वामोर) में आ० सनमतिसागरजी से मुनि दीक्षा धारण की। आज भी आप जैनागम के सिद्धान्त ग्रंथों का अन्वेषण कर रहे हैं तथा मुनि धर्म के मूलगुणों का पालन कर रहे हैं । प्राप प्रखरवक्ता तथा सरलमना मुनि हैं । धन्य है आपका जीवन ।
मुनि श्री ऋषभसागरजी महाराज
आपका जीवन बाल्य अवस्था से ही सत् संगति में बीता है । श्रापने १६ वर्ष की उम्र में गृह त्याग किया तथा १८ वर्ष की उम्र में मुनि सम्मतिसागर जी से दिगम्बरी दीक्षा प्राप्त की है ।