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दिगम्बर जैन साधु मुनिश्री अनन्तसागरजी महाराज
आप पिता श्री हीरालालजी एवं माता श्री मेनकाबाई के पुत्र हैं। गृहस्थावस्था का नाम नेमचन्द्रजी था । जन्म सं० १९६० में पुनहरा (ऐटा) में हुआ। जाति पद्मावती पुरवाल थी । आपने शादी नहीं की। वाल ब्रह्मचारी रहे । क्षुल्लक दीक्षा, सं० २०२१ कोल्हापुर में विजयसागर के नाम से, ऐलक दीक्षा कार्तिक सुदी ५, सं० २०२६ दिल्ली में एवं मुनि दीक्षा फाल्गुन सं० २०२७ को सम्मेदशिखर पर श्री अनंतसागरजी के नाम से पूज्य आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से ली। ये ध्यान, अध्ययन, जप-तप में हमेशा लीन रहते हैं।
मुनिश्री सुव्रतसागरजी महाराज
आप श्री सूरजपालजी एवं माता श्री सूर्यदेवी के पुत्र हैं । जन्म स्थान भिंड (ग्वालियर ), जन्म सं० १९७३ व जाति गोलसिधारे है । आपका गृहस्थावस्था का नाम श्री पन्नालालजी है । मुरैना विद्यालय से न्यायतीर्थ की परीक्षा पास की । इन्होंने दूसरी प्रतिमा सं० २०१०, चौथी प्रतिमा सं० २०१८, सातवीं प्रतिमा सं० २०२० में ली। क्षुल्लक दीक्षा सं० २०२४ आसोज सुदी १० को ईडर में पूज्य श्री १०८ आचार्य विमलसागरजी से ली और नाम श्री प्रबोधसागरजी रखा गया । आप वरावर तप में रत रहते हैं तथा व्याख्यान देने में बड़े पटु हैं । राजगृही में ही अनन्त चतुर्दशी तारीख ४-६-७१ को मुनि दीक्षा ली।
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