SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 309
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिगम्बर जैन साधु प्रा० रत्नमतीजी [ २६१ पू० आर्यिकारत्नमतीजी ने अवध प्रान्त में जन्म लेकर आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से दीक्षा ली है आपका विशेष परिचय प्राप्त नहीं हो सका । क्षुल्लिका दयामतीजी आपका जन्म छारणी निवासी हूमड़ जैन धर्मावलम्बी श्रीमती मणिकाबाई की कोख से सं० १९६० में हुवा | आपके पिताश्री का नाम श्री भागचन्दजी था । आपकी गृहस्थावस्था का नाम फूलीबाई था । आप स्वर्गीय आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज सा० (छारणी) की बहिन थी । आपका विवाह श्री फूलचन्दजी जैन हूमड़ के साथ हुवा थां लेकिन बचपन से ही आपको संसार के प्रति विरक्ति हो गई थी । वैवाहिक जीवन में ऐसे अनेक अवसर श्राये जब आप संसार की असारता का अनुभव कर धर्म मार्ग पर चलने को श्रासक्त हो गई । सं० २०१६ में डूंगरपुर में दर्शनार्थ भ्रमण करते आपने स्व० आचार्य महावीरकीतिजी से सप्तम प्रतिमा धारण कर ली । तत्पश्चात् सं० २०२० में खुरई में प० पू० १०८ मुनिराज श्री धर्मसागरजी महाराज सा० (वर्तमान आचार्य ) से क्षुल्लिका दीक्षा धारण की। दीक्षा के पश्चात् कलोल, डूंगरपुर, अजमेर, लाडनू, खुरई आदि स्थानों पर आपके चातुर्मास हुये ।
SR No.010188
Book TitleDigambar Jain Sadhu Parichaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherDharmshrut Granthmala
Publication Year1985
Total Pages661
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size31 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy