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दिगम्बर जैन साधु
प्रा० रत्नमतीजी
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पू० आर्यिकारत्नमतीजी ने अवध प्रान्त में जन्म लेकर आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से दीक्षा ली है आपका विशेष परिचय प्राप्त नहीं हो सका ।
क्षुल्लिका दयामतीजी
आपका जन्म छारणी निवासी हूमड़ जैन धर्मावलम्बी श्रीमती मणिकाबाई की कोख से सं० १९६० में हुवा | आपके पिताश्री का नाम श्री भागचन्दजी था । आपकी गृहस्थावस्था का नाम फूलीबाई था । आप स्वर्गीय आचार्य श्री शांतिसागरजी महाराज सा० (छारणी) की बहिन थी । आपका विवाह श्री फूलचन्दजी जैन हूमड़ के साथ हुवा थां लेकिन बचपन से ही आपको संसार के प्रति विरक्ति हो गई थी । वैवाहिक जीवन में ऐसे अनेक अवसर श्राये जब आप संसार की असारता का अनुभव कर धर्म मार्ग पर चलने को श्रासक्त हो गई । सं० २०१६ में डूंगरपुर में दर्शनार्थ भ्रमण करते आपने स्व० आचार्य महावीरकीतिजी से सप्तम प्रतिमा
धारण कर ली । तत्पश्चात् सं० २०२० में खुरई में प० पू० १०८ मुनिराज श्री धर्मसागरजी महाराज सा० (वर्तमान आचार्य ) से क्षुल्लिका दीक्षा धारण की। दीक्षा के पश्चात् कलोल, डूंगरपुर, अजमेर, लाडनू, खुरई आदि स्थानों पर आपके चातुर्मास हुये ।