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दिगम्बर जैन साधु
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प्रा० शुभमतीजी
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आपने बैसाख सुदी तीज सं० २००४ में खुरई . (सागर) में श्री गुलाबचन्दजी जैन के यहां जन्म लिया था । आपकी मां का नाम शान्तिबाई है। लौकिक । शिक्षा चौथी तक ही रही । सन् १९७२ में आपने अजमेर नगर में आर्यिका दीक्षा आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से ली।
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आर्यिका धन्यमतीजी ब्र० सोनाबाई का जन्म डेह ( नागौर ) में हुवा था । वचपन में आपकी शिक्षा अल्प ही थी। आपका विवाह नागौर में हुवा था। आपकी एक पुत्री है। जो आज कटक में रहती है। आपका जीवन शान्ति के साथ व्यतीत हो रहा था कि अनायास आपके ऊपर वैधव्यता का बोझ आ पड़ा। आपने उसे सहन किया तथा आचार्य वीरसागरजी महाराज से सातवी प्रतिमा के व्रत धारण किए आपने ३० वर्ष तक संघों में रहकर साधुओं की सेवा वैयावृत्ति की। अन्त में आपने उदयपुर ( राजस्थान ) में आर्यिका दीक्षा प्राचार्य श्री धर्मसागरजी से ली। केशरियानाथ तीर्थ पर आपने सल्लेखना ली तथा समाधि मरण कर आत्म कल्याण किया इस अवसर पर ४० साधु थे।
__ आप सरल, दानसेवी, परोपकारी एवं मिलनसार साध्वी थीं । सारे साधु आपकी भक्ति से प्रभावित थे।