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दिगम्बर जैन साधु क्षुल्लक श्री देवेन्द्रसागरजी महाराज
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क्षुल्लक श्री देवेन्द्रसागरजी का जन्म राजस्थान के डूंगरपुर जिले में साबला गांव में श्रीमान् कचरूलालजी एवम् माता श्री चम्पीबाई की कुक्षि से सं० १९७७ में हुआ । आपका जन्म नाम देवचन्दजी था। आपके तीन भ्राता पन्नालाल, गेबीलाल, लक्ष्मीलाल थे।
आप स्वभाव से सरल एवम् धार्मिक प्रवृत्ति वाले __ थे । आप बाल ब्रह्मचारी हैं आप अपने बड़े भाई गेबीलालजी
* के साथ जैन पाठशाला में अध्यापन और व्यापार में भी ध्यान देते हुए सादगी पूर्ण जीवन व्यतीत करते रहे । आचार्य श्री १०८ धर्मसागरजी महाराज का ससंघ सावला नगर में पदार्पण हुआ और बाहुबली वेदी प्रतिष्ठा के अवसर पर आपने सातवीं प्रतिमा को धारण किया । आप श्री धर्मभूषण वर्णीजी महाराज के साथ रहकर धर्म अध्ययन करते रहे।
पारसोला में सं० २०३६ में मानस्तम्भ की पंच कल्याणक प्रतिष्ठा के सुअवसर पर आपने प्राचार्य श्री १०८ धर्मसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की।
इस समय आप मुनि श्री १०८ श्री अजितसागरजी महाराज के साथ रहकर निरन्तर पठन पाठन करते हुये धर्म ध्यान पूर्वक अपने चारित्र का पालन कर रहे हैं।
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