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दिगम्बर जैन साधु
क्षुल्लक श्री करुणासागरजी महाराज
क्षुल्लकजी का जन्म स्थान राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में सुरम्य अति रमणीय लोहारिया नगर में श्रीमान धर्मनिष्ठ श्रेष्ठि दाड़मचन्दजी नरसिंहपुरा की धर्मपत्नी माता श्री : कुरवाई की कुक्षि से सं० १९७० फाल्गुन शुक्ला १५ को हुआ । आपका जन्म नाम छगनलाल रक्खा गया आपके. तीन भ्राता और एक वहिन थी । आपके छोटे भाईयों का नाम जवेरचन्द, हुकमीचन्द और मीठालाल है । आपके पिताजी गांव के सर्व मान्य व्यक्ति थे । आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने से तीनों भाई बम्बई धनोपार्जन हेतु गये वहां काफी धन उपार्जन कर अपनी स्थिति सुदृढ़ बनाई । आपके छोटे भाई श्री जवेरचन्दजी ने ३५ वर्ष की उम्र में ब्रह्मचर्य व्रत धारण किया । उन्होंने पार्श्वनाथ दि० जैन मन्दिर लोहारिया का जीर्णोद्धार कराया । बांसवाड़ा डूंगरपुर आदि जिलों में भी अनेक मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया । धर्मशाला वोडिंग जैन पाठशाला आदि का कार्य किया । ऐसे थे आपके लघु भ्राता जिन्होंने परम पू० १०८ आचार्य श्री विमलसागरजी महाराज से मुनि दीक्षा लेकर मुनि पार्श्वकीर्ति नाम से प्रसिद्ध हुवे और गत वर्ष रूपा पारोली ( जि० भीलवाड़ा) में समाधि पूर्वक स्वर्गवास को प्राप्त हुये ।
आपने उदयपुर में १०८ मुनि श्री पार्श्वसागरजी से सातवीं प्रतिमा धारण की और इसी वर्ष २०३६ में पारसोला पंच कल्याणक प्रतिष्ठा के सुअवसर पर १०८ आचार्य श्री धर्मसागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण की और ग्रापका नाम करुणासागर रखा. !
आप अभी १०८ श्री अजितसागरजी महाराज के संघ में रहकर निरन्तर धर्मध्यान रत हैं ।
सातारा
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