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दिगम्बर जैन साधु
[ १८५ विदुषीरत्न आर्यिका १०५ विशुद्धमतो माताजी गृहस्थाश्रम का नाम
बाई। जन्म स्थान- रीठी, जि० जबलपुर (म०प्र०) । पिता
श्रीमान् सिं० लक्ष्मणलालजी माता
सौ० मथुराबाई। भाई- श्री नीरजजी जैन एम० ए० और श्री निर्मल
कुमारजी जैन मु० सतना (म० प्र०)। जाति
गोलापूर्व । जन्म तिथि- सं० १९८६ चैत्र शुक्ला तृतीया शुक्रवार
दिनांक १२-४-१९२८ ई० । लौकिक शिक्षण- १. शिक्षकीय ट्रेनिंग ( दो वर्षीय)
२. साहित्य रत्न एवं विद्यालंकार । धार्मिक शिक्षण
शास्त्री (धर्म विषय में)। धार्मिक शिक्षण के गुरु
परम माननीय विद्वद्-शिरोमणि पं० डा. पन्नालालजी साहित्याचार्य, सागर
( म० प्र०)। कार्यकाल
श्री दि० जैन महिलाश्रम ( विधवाश्रम ) का सुचारु-रीत्या संचालन करते हुए प्रधानाध्यापिका पद पर करीव १२ वर्ष पर्यन्त कार्य किया एवं अपने सद् प्रयत्नों से संस्था में १००८ श्री पार्श्व
नाथ चैत्यालय की स्थापना कराई। वैराग्य का कारण
परम पू० प० श्रद्धेय आचार्य १०८ श्री धर्मसागर महाराजजी के सन् १९६२ ई० सागर (म० प्र०) चातुर्मास में पू० १०८ श्री धर्मसागर महाराजजी की परम निरपेक्ष वृत्ति और परम शान्तता का आकर्षण एवं संघस्थ प० पू० प्रवर वक्ता १०८ श्री सन्मतिसागरजी महाराज के मार्मिक सम्बोधन ।