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आर्यिका दीक्षागुरु
शिक्षा गुरु
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विद्या गुरु
दीक्षा स्थान
दीक्षा तिथि
वर्षा योग
जिन मुखोद्भव साहित्य-सृजन --
मौलिक रचनाएँ
संकलन
दिगम्बर जैन साधु
परम पू० कर्मठ तपस्वी अध्यात्मवेत्ता, चारित्र शिरोमणि, दिगम्बराचार्य १०८ श्री शिवसागरजी महाराज ।
परम पू० सिद्धान्तवेत्ता आचार्य कल्प १०८ श्री श्रुतसागरजी महाराज |
परम पू० अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी उपाध्याय १०८ श्री अजितसागरजी महाराज ।
श्री अतिशय क्षेत्र पपौराजी ( म०प्र० ) 1
सं० २०२१ श्रावण शुक्ला सप्तमी दिनांक १४-८-६४ ई० ।
सं० २०२१ में पपौरा क्षेत्र पर दीक्षा हुई पश्चात् क्रमश : श्री अतिशय क्षेत्र महावीरजी, कोटा, उदयपुर, प्रतापगढ़, टोडारायसिंह, भिण्डर,. उदयपुर, अजमेर, निवाई, रेनवाल ( किशनगढ़), सवाई माधोपुर, सीकर, रेनवाल ( किशनगढ़ ), निवाई, निवाई, टोडारायसिंह आदि ।
१. टीका - श्रीमद् सिद्धान्त चक्रवर्ती नेमिचन्द्राचार्य विरचित त्रिलोकसार की सचित्र हिन्दी टीका |
२. भट्टारक सकल कीर्त्याचार्य विरचित सिद्धान्तसार दीपक पर नाम त्रैलोक्य दीपिका की हिन्दी टीका 1.
३. तिलोयपण्णत्ती - आचार्य यतिवृषभ प्रणीत की हिन्दी टीका ।
१. श्रुत निकुञ्ज के किञ्चित् प्रसून ( व्यवहार रत्नत्रय की उपयोगिता ) २ गुरु गौरव. ३. श्रावक सोपान और बारह भावना । १. शिवसागर स्मारिका, २. आत्म प्रसून !