________________
दिगम्बर जैन माधु आर्यिका कुन्थुमतीजी
आपने आचार्य वीर सागरजी महाराज से सं० २००३ में आयिका दीक्षा ली। आप इस समय ८० वर्ष के लगभग हैं। फिर भी अपने व्रतों को ससंयम पाल रही हैं । आप इस समय शिखरजी में पू० सुपार्श्वमती माताजी के सान्निध्य में आत्म साधना कर रही हैं।
xxxx ୪୪୪୪
आर्यिका सुमतिमतीजी
१०५ आ० सुमतिमती माताजी ( खण्डेवाल : विलाला गोत्र ) जयपुर की थीं। आपने आचार्य श्री वीरसागरजी से जयपुर में आर्यिका दीक्षा ली । संघ का विहार मारवाड़, डेह, नागौर की ओर हवा । नागौर में ही आप समाधि मरण पूर्वक स्वर्ग वासिनी हुई । आपका अधिकांश समय विशेष धर्मध्यान पूर्वक ही व्यतीत हुवा।