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दिगम्बर जैन साधु
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आपका दैनिक समय प्रायः स्वाध्याय में ही बीतता था । आपका मुख्य दैनिक स्वाध्याय पाठ आदि निम्न प्रकार चलते थे ।
तत्वार्थसूत्र, भक्तामर स्तोत्र, सहस्रनाम, कल्याणमन्दिर, एकीभाव, स्वरूपसंबोधन, समाधितंत्र इष्टोपदेश, पार्श्वनाथस्तोत्र, ऋषि मण्डल स्तोत्र, सरस्वती स्तोत्र णमोकार मंत्र का माहात्म्य, महावीराष्टक स्तोत्र, मंगलाष्टकम् पंच भक्ति पाठ, प्रथमानुयोग व द्रव्यानुयोग का स्वाध्याय एवं प्रतिक्रमण आदि ।
आपके द्वारा अनेकों ग्रन्थों का प्रकाशन हुआ जिनके मुख्य नाम ये हैं | कल्याण पाठ संग्रह, नित्य नियम पूजा, नित्यनियम पाठ पूजा, भक्तामर कथा ( हिन्दी अनुवाद ), शांति विधान ( हिन्दी अनुवाद), देववंदना, समाधि तन्त्र, इष्टोपदेश, स्वरूपसंबोधन, जिनसहस्र स्तवन, द्वादशअनुप्रेक्षा, सूतक निर्णय व नवधाभक्ति आराधना कथाकोष ( संस्कृत ) आादि । श्राराधना कथाकोष तीनों भाग भी हिन्दी व संस्कृत में छपकर प्रकाशित होगये हैं ।
चरित्रनायिका श्री १०५ विमलमती प्रार्थिकाजी सत्समाधि के साथ यहीं पर अपने भौतिक देह को वैशाख सुदी १, वि० सं० २०३४ में छोड़ चुकी हैं । अब तो धार्मिकजनों को उनके द्वारा उपदिष्ट मार्ग-उपदेश के अनुगामी होते हुए उनके द्वारा प्रचारित जिनवाणी के अध्ययन करते हुए अपना हित करते रहना चाहिये ।
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