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[ ११ ] देखकर आश्चर्य होता है । इसीप्रकार रायबहादुर सेठ पारसदासजी हुए जिनके द्वारा जैनधर्म और समाज की बड़ी सेवा हुई।
यहीं पर अग्रवाल वंशोद्भव सिंगल गोत्रीय सद् गृहस्थ द्वारकादासजी हुए उनके पुत्र ला० बनारसीदासजी हुए उनके सुपुत्र श्रीमान् ला० महावीरप्रसादजी ठेकेदार हुए वे बड़े धर्मात्मा, उदार, देवंशास्त्र गुरु के अनन्य भक्त थे, उनकी धर्मनिष्ठा सभी प्रकार से प्रशंसनीय रही।
भाग्य पुरुषार्थ और सूझबूझ से दिनों दिन लक्ष्मी की प्राप्ति हुई और उसको धार्मिक कार्यों में खर्च करके उन्होंने गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाया।
आपने चार विवाह किये दो धर्म पत्नियों से कोई सन्तान नहीं हुई तीसरी से एक पुत्री और एक पुत्र का जन्म हुआ। पुत्र श्यामलाल का जन्म आसोज बदी ४ विक्रम सम्वत् १९६४ तदनुसार २७ सितम्बर १९०७ ई० को हुआ दो वर्ष पश्चात् माताजी का स्वर्गवास होगया चौथो धर्मपत्नी श्री कलादेवी से चार पुत्र और छह पुत्रियां हुई।
पुत्रों में श्री अजितप्रसादजी श्री महेन्द्रप्रसादजी श्री विजेन्द्रप्रसादजी और नरेन्द्रप्रसादजी हैं जो अपने पिता के यश और गौरव के अनुसार व्यापारिक कार्यों को भली प्रकार सम्पन्न करते हुए सामाजिक संस्थाओं की उन्नति में प्रयत्न शील रहते हैं।
श्री श्यामलालजी का विवाह १९१८ में ला० छज्जमलजी कपड़े वालों की पुत्री चम्पावतीजी के साथ हुआ जिससे श्री जिनेन्द्रप्रसादजी और सत्येन्द्रकुमारजी दो पुत्र और सुशीला, सरला, कनक ये तीन पुत्रियां हुई।
लालाजी का भरा पूरा परिवार है पुत्र और पौत्रों से आप सम्पन्न हैं।
ला० श्यामलालजी में बचपन से धर्म के विशेष संस्कार पड़े। बचपन के संस्कार जीवन पर्यन्त विकास के साधन बन जाते हैं।
___ गृहस्थ के दैनिक कर्तव्यों में ६ कर्तव्य बताए हैं जिनमें दो मुख्य हैं पूजा करना और दान देना देवाधिदेव श्री जिनेन्द्रदेव को पूजा सभी प्रकार के दुःखों को नाश करने वाली है मन के विकारों को दूर करती है और मनोभिलषित पदार्थों को देने वाली है । यही विचार कर आप प्रतिदिन जयसिंहपुरा नई दिल्ली के मन्दिर में पूजन करते हैं नित्य प्रति स्वाध्याय करते हैं।