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श्रापने समस्त भारत के जैन तीर्थो की यात्रा सपरिवार की है श्राचार्य शान्तिसागरजी महाराज जब दिल्ली पधारे तो उनसे अशुद्धजल के त्याग का व्रत लिया और अब व्यापारिक कार्यों को छोड़कर आचार्यं धर्मसागरजी महाराज से दूसरी प्रतिमा का नियम लिया ।
जिन व्रतों को श्राप भलीप्रकार पालन कर रहे हैं । आप ठाकुरदास बनारसीदास ट्रस्ट, श्री महावीरप्रसादजी ट्रस्ट, श्यामलाल जैन चेरीटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं । जिनके माध्यम से धार्मिक संस्थाओं को दान देते रहते हैं ।
घर पर ही श्री महावीरप्रसाद जैन श्रायुर्वेदिक औषधालय स्थापित कर रखा है, जहाँ ३१ वर्षो से अनेक रोगी प्रतिदिन औषधि लेकर आरोग्य लाभ प्राप्त करते हैं ।
सामाजिक सेवा :
आप सामाजिक संस्थाओं का कार्य उत्साह से करते हैं । भा० दि० जैन धर्म संरक्षिणी महासभा, भा० दि० जैन संघ के आप सदस्य हैं । त्रिलोक शोध संस्थान हस्तिनापुर के अध्यक्ष जैन सभा नई दिल्ली, वीरसेवा मन्दिर आदि संस्थानों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष हैं । मुनिसंघ कमेटी के अध्यक्ष हैं । दिल्ली में पधारे आचार्य शांतिसागरजी महाराज, आचार्य देशभूषणजी महाराज, आ० धर्मसागरजी महाराज ऐलाचार्य विद्यानंदजी महाराज तथा समय समय पर पधारे अन्य त्यागी जनों की उत्साह से व्यावृत्ति करते हैं । दि० जैन मन्दिर अयोध्याजी, ग्रीनपार्क फरीदाबाद पांडव नगर आदि स्थानों के मन्दिरों का शिलान्यास श्रापके ही कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ है ।
धर्म शिक्षा :
दिल्ली के जैन स्कूलों में पहले धर्म शिक्षा दी जाती थी फिर बन्द होगई जब आपसे इस बात की चर्चा की तो आपने श्री जैन सभा जिसके श्राप गत वर्ष तक अध्यक्ष ये धर्म शिक्षा शुरु कराई । श्री जैन शिक्षा बोर्ड जिसके अन्तर्गत दो हायर सेकेण्ड्री स्कूल हैं जिनमें २५०० लड़के लड़कियां शिक्षा पाती हैं उनमें धर्म शिक्षा शुरु कराने का श्रेय आपको ही है । जैन प्रेम सभा प्रयत्न से धर्म शिक्षा का कार्य चालू हुआ है। जिसकी हर एक ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की है । इसके बाद कई स्कलों में धर्म शिक्षा शुरु हो गई है ।
जीवन में कभी कभी ऐसा मोड़ आता है जो व्यक्ति के विचारों में परिवर्तन कर देता है | उसे उन्नत और शक्तिशाली बना देता है । दक्षिण भारत से सेठ पूनमचन्द घासीलालजी ने चारित्र चक्रवर्ती आचार्य शांतिसागरजी महाराज के संघ को उत्तर भारत में विहार कराया उस समय जनता