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________________ धति मनु के दश साधारण धर्म में पहला धर्म धृति है जिसका अर्थ धैर्य और सन्तोष है। कष्ट की दशा में पड़ने पर भी उसले सुमित न होना और विना चिन्तित और शोकित हुए . उसको सह लेना धैर्य है और ऐसी दशा में भी प्रसन्न ही ' रहना सन्ताप है। सुख दुःख दोनों नाशवान हैं और उनका आना कर्मानुसार होने के कारण अवश्यम्भावी है। उनका आना किसी प्रकार साधारण लोगों से रुक नहीं सकता है और न उनके भोग के नियत समय के बीतने के पूर्व वे टल सकते हैं, अतएव धैर्य का अवलम्बन आवश्यक है। दुष्ट प्रारब्ध कर्म के फल दुःख रूप में कर्ता के पास आते हैं, जिनको धैर्य से भोगने से वह छुटकारा पा जाता है, अतएव दुःख की अवस्था में पड़ने पर धैर्य रखना आवश्यक है। संसार के विषयों की जितनी प्राप्ति होती है उतनी ही विशेष • उनके पाने की इच्छा बढ़ती है और जब तक इच्छारूपी तृष्णा , बनी रहती है तब तकशान्ति नहीं मिलती। लाम अलाभ प्रारब्धकर्मानुसार जान यथालाभ में सन्तुष्ट रह सन्तोष का धारण अवश्य करना चाहिए । सन्तोष के अभाव के कारण ही. किसी अप्राप्त वस्तु के लिये लोम की उत्पत्ति होती है जिसके कारण असत्य, स्तेय, अन्याय आदि अधर्म किये जाते हैं। अतएव .
SR No.010187
Book TitleDharm Karm Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIndian Press Prayag
PublisherIndian Press
Publication Year1929
Total Pages187
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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