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मृत्यु की परावस्था
में जाता है और
मरने के बाद साधारण श्रेणी का व्यक्ति पहिले वलीक सूक्ष्म शरीर में रहता है जो शुवक की प्रकृति का बना हुआ होता है। यह शरीर इन्द्रियों की वासना का मुख्य स्थान है। इस वीक में सात अन्तर्विभाग हैं । जिस व्यक्ति की संसार में रहने के समय इन्द्रियों के विषय भांग की कि घी और जी विशेषकर उसी की प्राप्ति
वनों के नीचे
वह मरने के बाद
के नीचे के भाग में, उस भाग के प्रणु की अधिकता उम्र रहने के कारण अपने को पावेगा और वह उसकी उन दुष्ट aani और द्रों का स्फुरण होगा जिनको पने जीते रहते समय विशेष सोचा था और ताश कर्म किया था। फिर स्फुरगा होने पर वह उन्हीं भावनाओं की चिन्ता करने में होगा, किन्तु स्थूल शरीर के प्रभाव के कारण उन वासनाओं की पूर्ति वह नहीं कर सकेगा जिसके कारण वह अत्यन्त यातना पावेगा। परिणाम यह होगा कि उनका संस्कार उसके चित में और भुवतॉफ के नीचे के भाग में बीज रूप से रहेगा। जब दूसरा जन्म लेने के लिये वह जीवात्मा स्वर्लोक से वर्ती में आवेगात फिर उन बुरे संस्कारों का उसमें स्फुरण
में चलवान रहता था, उसके सूक्ष्म शरीर में के भाग के अणु का विशेष भाग रहूंगा।