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बालकों का ब्रह्मचर्य अश्वमेधसहस्राणि सत्यं च तुलया धृतम् । तुलयित्वा तु पश्यामि सत्यमेवातिरिच्यते ।।*
वाल्मीकीय रामायण हज़ार अश्वमेध यज्ञों को तराज़ की एक ओर और सत्य को दूसरी ओर रख के तौलने से देखता हूँ तो सत्य ही का पलड़ा भारी होता है। औरसत्यमेव जयति नानृतम् ।
उपनिषद् सत्य ही की जय होती है, झूठ की नहीं। गोस्वामी तुलसीदास का वचन हैचौ०-धर्म न दूसर सत्य समाना । आगम निगम पुरान वखाना ॥
रामचरितमानस
. महात्मा कबीर का वचन है
दोहा साँच वरोवर तप नहीं, झूठ बरोवर पाप । जाके हृदया. साँच हैं, ताके हृदया आप ॥ * भारत शान्तिपर्व अध्याय १६२ श्लोक २६ में भी यह है और उक्त अध्याय में और भी लिखा है कि केवल सत्य के अभ्यास से तेरह सद्गुण प्राप्त होते हैं।