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बालकों का ब्रह्मचर्य
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इसी से प्राप्त होते हैं। पुरुष के श्राज, मस्तिष्क और वीर्य का मान अपने एक चुल्लू के तुल्य है और स्त्रियों के दूध का परिमाण दो अँजुली और रज का चार अँजुली है ।
ऊपर का परिमाण स्वस्थ और वलिष्ठ युवा पुरुप के लिये है किन्तु दूसरों में तो बहुत कम रहता है । यह स्वल्पवीर्य भी भोजन के पचे भाग से एक महीने के बाद तय्यार होता है जैसा कि लिखा जा चुका है। डाक्टर कोवन अपनी प्रसिद्ध पुस्तक "दी सायन्स आफ एन्यु लाइफ" ( The Science of a New Lifo ) के पृष्ठ २०६ में लिखते हैं- "शरीर के किसी भाग में से यदि ४० स रुधिर निकाल लिया जाय तो वह एक औंस वीर्य के तुल्य होता है अर्थात् ४० प्रस (करीव ११ सेर) रुधिर से एक औंस ( छटाँक ) वीर्य बनता है" । अमेरिका के प्रसिद्ध शरीर वृद्धि - शास्त्रज्ञ मैकफडन महादय ने अपनी पुस्तक "मैनहुड ऐन्ड मैरेज" (Manhood and Marringe ) में इसी विचार को प्रकट किया है। ऐनसाइक्लोपीडिया औफ फिज़िकल कलचर (Encyclopaedia of Pliy - sical Culture) के पृष्ठ २७७२ पर वे लिखते हैं- "कई विद्वानों के कथनानुसार ४० औंस रुधिर से २ स वीर्य बनता है, परन्तु कुछ विद्वानों का कथन है कि एक औंस वीर्य की शक्ति ६० औँस रुधिर के तुल्य है" | Dr. Louis लिखते हैं "All eminent physiologists agree that the most precious atoms of the blood enter into the composition of the