________________
तप विनय-इच्छा कू रोक मिले हुए विपयन में संतोप कर . ध्यान स्वाध्याय में लगना और अनशनादि कर'.. .. : ना काम के जीतने को, सो तप विनय है। . उपचार विनय-पंच परमेष्टी का हर तरह विनय सो उपचार
विनय है । इस के दो भेदं हैं प्रत्यक्ष विनय यानी पच परमेष्टी के सन्मुख विनय करना और
"परोक्ष : विनया यानी पंच परमेष्टी का चितवन . . . करना । . . . . . . .
- विनय वादी के ३२ भेद होते है यानी:मन वचन काय और दान । इन चार से पाठ का विनय करना । यानी-माता, पिता, देव, नृप , जाति, वाल, बृद्ध, और तपस्वी। . .
। ग़ज़ल ।।
. धर्म वो चीज हैं भाई कि जिसकी शक्ति न्यारी है ।
रोग और सोग भी टारे यह उस में. सिक्त भारी है .... अंरोगी 'हो गएं कुष्टी दरिद्री धन को धारे है। अग्नि जल डर जहां होवे धर्म वा मदद गारी है ।। शूली से सेठ को तारा, किया श्रीपाल दधिपारा । अग्नि में फूल कर दीने जहां 'सीता' विठारी है ॥ वो कपटी चोर अंजनंसा भी पहुँचाया' मुकतिपुर में। मिली., जंगल में लछमन राम को सेना जो मारी है। जंगत. के. देव गुरु देखे किसी के संग नारी है । कोई क्रोधी : कोई. लोभी नाम "ब्रह्मा मुरारी है धर्म सब जगत में माने नहीं जाने हैं गुण उसका ।