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________________ वाह्य साक्ष्यो मे गर्गशोपाध्याय ने तत्वचिन्तामणि में 'खण्डन खण्ड खाध' से कारिका का उद्धरण देकर कहा है- 'एतेन खण्डनकारमतमप्यपास्तम' अर्थात् इससे खण्डनकार (श्री हर्ष) का मत भी खण्डित हो गया। इनका समय १३०० ईस्वी माना जाता है। अतः श्री हर्ष को इनसे पूर्ववर्ती ही मानना पड़ेगा। अतेव श्री हर्ष का १२वीं शताब्दी का समय ठीक सिद्ध होता है। श्री बूलर ने श्री हर्ष क समय ११६६ से ११६३ ईस्वी तक का माना है। श्री के० टी० तैलंग डा० बुलर के मत को नहीं मानते है, वे श्री हर्ष को ६वीं या १०वीं शताब्दी का मानते है। सांयण माधव ने "शङ्करदिग्विजय' में श्री हर्ष को श्री शङ्कराचार्य के समकालीन (७८८-८२० ई०) बताया है। वाह्य तथा अन्तः साक्ष्यों से स्पष्ट होता है कि हर्ष का समय ११५० ई० से ११६० ई० के बीच होना उचित प्रतीत होता है। कृतियाँ- श्री हर्ष रचित ग्रन्थ अब तक दो प्राप्य है- खण्डनखण्डखाद्य तथा नैषधीय चरितम्। इन दोनों ग्रन्थों में इनके अन्य रचनाओं का भी उल्लेख पाया जाता है। 'खण्डन खण्ड खाद्य में 'ईश्वराभि सन्धि' का उल्लेख कई स्थानों पर मिलता है। शेष कई ग्रन्थों का उल्लेख नैषध में पाया जाता है। श्री हर्ष के कुछ ग्रन्थ मुख्य रूप से है१. नैषधचरितम् २. अर्णववर्णनम ३. शिवशक्ति सिद्धिः ४. साहसांङ्कचम्पू: ५. छन्दः प्रशस्ति ६. विजय प्रशस्ति ७. ईश्वराभिसन्धिः ८. खण्डन खण्ड खाद्यम् आदि। इसमें 'खण्डन खण्ड खाद्यम्' और नैषध' अनुपम ग्रन्थ है। खण्डनकार ‘खण्डन में नैषधचरित का और 'नैषध' में खण्डन का उल्लेख करते है। इससे सिद्ध होता है कि 'खण्डन, अच्युत पृ० ३६, ५०, ८५ आदि। २ नैषध पृ०६/१६०, 18/149, 22/149, 17/122.5/138,7/110 301
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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