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________________ से भिन्न पंचम प्रकार की मानते है। इसी कारण से अद्वैतवेदान्त के इतिहास में वे अपना अप्रतिम स्थान रखते है। प्रकाशायति' (१२वीं शताब्दी) प्रकाशात्मा ने पद्मपाद की ‘पञ्चपादिका' पर 'पञ्चपादिका विवरण टीका' लिखकर विवरण प्रस्थान को जन्म दिया। यह विवरण टीका परवर्ती काल में शांकर सम्प्रदाय में इतनी प्रसिद्ध हुई कि इस पर अनेक उपटीकाएं लिखी गयी जैसेसर्वज्ञविष्णु भट्ट की ऋजुविवरण, अखण्डानन्द की तत्वदीपन, चित्सुखाचार्य की तात्पर्यदीपिका, नृसिंहाश्रम की भावप्रकाशिका, आनन्द पूर्व विद्यासागर की पञ्चपादिका विवरण व्याख्या आदि उपटीकाएं है। माधवाचार्य (विद्यारण्य १३५० ई०) द्वारा रचित "विवरण प्रमेय संग्रह' और रामानन्द सरस्वती लिखित 'विवरणोपन्यास प्रकरण ग्रन्थ है। विवरणकार माया अति विलक्षण के प्रतिभा के धनी थे। उनकी विवरण टीका व्याख्या ग्रन्थ होने पर भी एक स्वतंत्र और मौलिक ग्रन्थ है। प्रकाशात्मायति वास्तव में शाङ्करभाष्य की पंचपादिका के प्रकाशस्तम्भ है इसमें सन्देह नहीं है। प्रकाशात्मा का जीवन परिचय उपलब्ध नहीं है किन्तु राधाकृष्णन ने उनका जन्म समय १२०० ईस्वी स्वीकार किया है। ये सन्यासी थे और अनुभवाचार्य के शिष्य थे इस प्रकार का उल्लेख विवरण के प्रारम्भ में मिलता है- “अर्थतोऽपि न नाम्नैव योऽनन्यानुभवोगुरुः । प्रकाशात्मयति विद्यारण्य के पूर्ववर्ती थे क्योंकि विद्यारण्य ने विवरण पर 'विवरण प्रमेय संग्रह' की रचना की है विद्यारण्य का समय १४वीं शताब्दी है अतः प्रकाशात्मा का समय द्वादश शताब्दी के आस-पास सिद्ध होता है। प्रकाशत्मा ने अद्वैत तत्त्व के विश्लेषण में ब्रह्म एवं अविद्या के बीच आश्रयाश्रयिभाव एवं विषय-विषयि भाव सम्बन्ध माना है। पद्मपादाचार्य इस मत को मानते है जबकि वाचस्पति का मत इससे भिन्न है। किन्तु । सर्वपल्ली राधाकृष्णन- भारतीय दर्शन भाग २ हिन्दी अनुवाद, दिल्ली १६७२ पृ० ४४५ 296
SR No.010176
Book TitleBramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVandanadevi
PublisherIlahabad University
Publication Year2003
Total Pages388
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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