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________________ भगवान् महावीर ९२ प्राचीन दन्त-कथाओं में हम प्रायः इस प्रकार की घटनाएँ सुना करते हैं। जिनमें गर्भ बदलने की तो नहीं पर कन्या के स्थान पर पुत्र और और पुत्र के स्थान पर कन्या को रख देने की बातें पायी जाती हैं । अथवा यदि किसी के सन्तति न होती हो तो दूसरी सन्तान को लाकर "रानी के गर्भ से पैदा हुई है " इस प्रकार की अफवाह उड़ा दी जाती है । इस प्रकार की घटनाएँ जय प्रकाश में आती हैं तो कुछ दिनों पश्चात् लोग उसको चढ़ा कर राई का पर्वत और तिल का ताड़ कर देते हैं । लोगों का ख्याल है कि इसी प्रकार की कोई घटना शायद महावीर के जन्म समय भी हुई हो, जिसको बढ़ाते २ यह रूप दे दिया गया हो । कल्पसूत्र के अनुसार भगवान महावीर पहले ऋषभदत्त ब्राह्मण की पत्नी देवनन्दा के गर्भ में अवतरित हुए थे । जब यह खबर इन्द्र को मालूम हुई तो वह बड़े असमज्जस में पड़ गया, क्योंकि ब्राह्मणी के गर्भ मे तीर्थकर के जीव का जाना असम्भव माना जाता है । अन्त मे उसने महावीर का गर्भ स्थान बदलने के निमित्त "हरिनैगम" नामक दैव को बुला कर उस गर्भ को क्षत्रिय राजा सिद्धार्थ को रानी त्रिशला की कुति में बदलने को कहा । उपरोक्त सब कुछ बाते ऐसे ढग की हैं जिन पर सिवाय श्रद्धावादी जैनियों के दूसरे विद्वान् विश्वास नही कर सकते । कुछ लोगों ने इस घटना के विरुद्ध कई प्रमाण संग्रह करके यह सिद्ध करने की कोशिश की है कि, यह घटना बहुत पीछे से मिलाई, गई है । उन प्रमाणों को संक्षिप्त में नीचे देते हैं । ( १ ) कल्पसूत्र के रचियता लिखते हैं कि, तीर्थकर - 1 "
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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