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________________ ७० भगवान् महावीर बहुत ऊँची श्रेणी के महात्माओं के लिये व्यवहत होता है । पर बौद्धधर्म मे भ्रष्ट उपाश्रय के स्थापित करने वाले को 'तश्वगत' कहा है । इसका कारण यही मालूम होता है कि, द्वेपांध होकर ही पीछे से वौद्ध लोगो ने जैनधर्म मे इस शब्द को उडा कर इस रूप में उसका प्रयोग किया । अव लेसन साहब की दूसरी युक्ति पर विचार कीजिए "अहिंसा" के लिये तो विचार करना ही व्यर्थ है । क्योंकि यह तो हिन्दुस्तान के प्राय. सभी धर्मों में पाई जाती है। रहा कालमापन का, इसके लिए हर्मन जैकोबी का मत सुनिये । The Buddhas improved upon tbc Brabwani system of yugas, while the pains invented thelr utassanpidi and Avasarpini eras after the model of the dny and on gbt of Brahma अर्थात् बुद्ध लोगो ने ब्राह्मणो के युगो की सिस्टम का अनुकरण करके चार बड़े बड़े कल्पो का आविष्कार किया, ओर जैनियो ने ब्रह्म के दिन और रात (अहोरात्र) की कल्पना पर उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी काल की कल्पना की। इससे लेसन साहब की तीसरी युक्ति भी निरर्थक ही जाती है । क्योंकि, जेकोबी के कथानुसार दोनों ही मतो ने कालमापन की कल्पना ब्राह्मणधर्म के अनुसार की। इसी प्रकार लेसन साहब को चौथी युक्ति भी निर्मूल हो जाती है। क्योकि जिन चार महाव्रतों का उन्होंने जिक्र किया है, वे ब्राहाण वौद्ध, और जैन तीनों धर्मों में समान पाये जाते हैं। पर समान होते हए भी कोई बौद्धधर्म को ब्राह्मणधर्म की शाखा नहीं कह
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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