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भगवान् महावीर
यात्रजीवन में ऐसा आश्चर्यजनक साम्य पाया जाता है कि, उनको अलग अलग व्यक्ति स्वीकार करने में बुद्धि प्रेरणा नहीं करती। मसलन, महावीर और बुद्ध दोनों की स्त्री का नाम "यशोदा"
और दोनो ही के भाइयों का नाम,"नन्दिवर्धन" था ।इसके अतिरिक्त बुद्ध की कुमारावस्था का नाम "सिद्धार्थ" और महावीर के पिता का नाम भी सिद्धार्थ था । इन सब बातों से यह बात स्वीकार करने में बड़ा सन्देह होता है कि वुद्ध और महावीर अलग अलग व्यक्ति थे।
लेकिन विल्सन साहब की यह युक्ति प्रमाण नहीं मानी जा सकती । क्योंकि महावीर और बुद्ध के जीवन में जितनी बातों में साम्य पाया जाता है, उससे अधिक महत्वपूर्ण वातों में वैपम्य भी पाया जाता है। जैसेवुद्ध का जन्म कपिलवस्तु में हुआ और महावीर का कुण्डग्राम में । बुद्ध की माता वुद्ध का जन्म होते ही कुछ समय के अन्तर्गत स्वर्गस्थहो गई,जब की महावीर की माता उनके जन्म के २८ वर्ष तक जीवित रही, वुद्ध माता पिता और पन्नी की अनुमती के बिना सन्यासी हुए थे, पर महावीर माता, पिता के स्वर्गवास हुए के पश्चात् ज्येष्ठ भ्राता की अनुमति से संन्या. सी हुए थे । इसके अतिरिक्त सब से बडा प्रमाण यह है कि राजा विम्बसार जिसे जैनी लोग श्रेणिक कहते हैं । बुद्ध के समकालीन थे । इनको बुद्ध सहावीर दोनो ने उपदेश दिया था। और ओणक पहले बुद्ध और फिर जैनी हुए थे । इन सब बातो का आधार देकर डाक्टर जेकोबी ने विल्सन का खण्डन करते हुए यह सिद्ध कर दिया है कि, वुद्ध और महावीर दोनो भिन्न भिन्न व्यक्ति थे, और समकालीन थे ।