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भगवान महापीर
दयानन्द की क्रान्ति सामाजिक क्रान्ति थी और महावीर, बुद्ध और ईसा की धार्मिक क्रान्तियां थीं।
महावीर और बुद्ध ने तत्कालीन सामाजिक और धार्मिक अवस्था के प्रति आन्दोलन उठाया था। उन्होंने यज्ञादिक कर्मकाण्ड के खिलाफ, हठयोगादि कुतपस्याओं के विरुद्ध और शूद्रों के प्रति जुल्मों के विरुद्ध अपनी आवाज उठा कर समाज में तहलका मचा दिया था। अतएव जैन और बुद्ध धर्म को तत्कालीन धर्म के विरुद्ध क्रान्ति कहे तो अनुपयुक्त न होगा। जैन और चौद्ध धर्म वास्तव में तत्कालीन वैदिक धर्म के विरुद्ध उत्पन्न हुई प्रबल क्रान्तियां थीं। जिनके नेता भगवान महावीर और बुद्ध थे।
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