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४ पाँचवाँ अध्याय
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क्या जैन और बुद्ध धर्म ब्राह्मण धर्म के
विरुद्ध क्रान्ति रूप उदय हुए थे:गहम पहिले इन दोनों धर्मों को क्रान्ति सन्ना से सम्बोधित
..,मत पाये हैं। सम्भव है कि कुछ लोगो को
इसमें कुछ एतगज हो। क्योंकि क्रान्ति शब्द का माधारण अर्थ आज कल गजनैतिक वलवे मे लिया जाता है। इमम पुछ लोग महज ही कह सकते हैं कि जैन और बौद्ध धर्म कोई गजनैतिक बलवे तो थे नहीं कि, जिसके कारण उन्हें 'कान्नि"या जाच, इसके उत्तर-स्वरूप हम यही कह देना उचित समर्मत है कि केवल राजनैतिक दलवे को ही क्रान्ति नहीं कहते। समाज की विशृखला 'पौर दुर्व्यवस्था को मिटाने के लिए जो अान्दोलन होने हैं, उन्हींको क्रान्ति कहते हैं। फिर चाहे वे आन्दोलन राजनैतिक रूप से हो चाहे सामाजिक रूप से हो चाहे धार्मिक रूप से । समय की आवश्यकता को देखकर तत्कालीन महापुन्प कभी गजनैतिक रूप से उस क्रान्ति का उद्गम करते हैं कमी सामाजिक रूपमे और कभी धार्मिक रूप से महात्मा गांधी की क्रान्ति राजनैतिकता और धार्मिकता का मिश्रण है। स्वामी