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________________ 4 तीसरा अध्याय आजीविक सम्प्रदाय ईसा के पूर्व छठवी शताब्दी में अर्थात् भगवान महावीर हर के समय में भारतवर्ष के अन्तर्गत और भी कई छोटे बड़े सम्प्रदाय प्रचलित थे । इतिहास के अन्तर्गत इन मतों में तीन मतों का अधिक उल्लेख पाया जाता है। वौद्ध, जैन और आजीविक । चौद्ध-धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध का परिचय हम पाठकों को पहले दे चुके हैं। इस स्थान पर आजीविक सम्प्रदाय से हम उनका थोडा परिचय करवा देना चाहते हैं। जिन लोगों ने पुराणों में भगवान महावीर के जीवन का पठन किया है। वे मश्करी पुत्र गोशाल के नाम से अपरिचित न होंगे। यही गौशाल आजीविक सम्प्रदाय के मुख्य प्रवर्तक । जैन पुराणों में आजीविक सम्प्रदाय के प्रवर्तक "गौशाल को "मश्करीपुत्र" अर्थात् विदूषक कह कर' उनकी खूब क उड़ाई है। इनकी जीवनी का कुछ विस्तृत विवेचन हम पौराणिक खण्ड में करेंगे । यहाँ पर सिल सिला जमाने के निमित्त कुछ सक्षिप्त विवेचन करेंगे।
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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