________________
भगवान् महावीर के नीचे आने का निमन्त्रण दे रहा था। उसके नियम इतने सरल थे, कि, सर्व साधारण सुगमता के साथ उनका पालन कर सकते थे। इसके अतिरिक्त और भी कुछ ऐसे कारण थे कि जिनके कारण कुछ समय के लिये बुद्ध-धर्म को फैलने का खूव ही अवसर मिला । यद्यपि उस समय वौद्ध-धर्म जैन. धर्म की अपेक्षा बहुत अधिक फैल गया, तथापि उसकी नीव मे कुछ ऐसी कमजोरी रह गई थी कि, जिसके कारण वह भारत में स्थायी रूप से न चल सका। और जैन धर्म की नीव इतनी उढ़ रक्खी गई थी कि, उस समय बहुत अधिका न फैलने पर भी वह आज तक भारतवर्ष में प्रचलित है।
दूसरे शब्दों में हम यो कह सकते हैं कि वौद्ध-धर्म समाज मे उस आकस्मिक तूफान की तरह था जो एक दम प्रस्फोटिक होकर बहुत शीघ्र बन्द हो जाता है, पर जैन-धर्म उस शान्त नदी की तरह था जो धीरे धीरे बहती है और बहुत समय तक स्थायी रहती है।
मतलब यह कि बौद्ध-धर्म ने उदय होकर तत्कालीन समाज पर एक अभूत पूर्वे प्रभाव डाला। केवल साधारण जनता ने ही नहीं प्रत्युत बड़े बड़े सम्भ्रान्त व्यक्तियों ने, रईसों ने, जागीरदारों ने और यहाँ तक कि बड़े बड़े राजाओं ने भी बौद्ध-धर्म को स्वीकार किया। और यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि जैन-धर्म की अपेक्षा बौद्ध-धर्म ने तत्कालीन समाज पर बहुत अधिक प्रभाव डाला ।