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भगवान् महावीर ब्राह्मण जाति में जन्म ग्रहण नहीं करते और सम्भव है यह घृणा
और भी जोरदार रूप मे प्रदर्शित करने के लिए ही शायद उसके लेखक ने भगवान महावीर की आत्मा को पहले ब्राह्मणी के गर्भ मे भेज कर फिर क्षत्राणी के गर्भ में जाने का उल्लेख किया है।
खैर इस पर हम आगे विचार करेंगे। यहां पर हम इतना लिखना पर्याप्त समझते हैं कि समाज में प्रचारित ब्राह्मणों के अत्याचारो के खिलाफ इन दोनों महात्माओं ने बड़े जोर की आवाज उठाई। इन महात्माओं ने इस अन्याय को दूर करने के लिए छूता-छूत के भेद को विल्कुल छोड़ दिया और अपने धर्म तथा सम्प्रदाय का द्वार सब धर्मों और जातियो के लिए समान रूप से खोल दिया।
कुछ लोगों का यह खयाल है कि भगवान् बुद्ध और महावीर ने वर्णाश्रम-धर्म की सुन्दर व्यवस्था को तोड़ कर भारत के प्रति बड़ा भारी अन्याय किया। पर उनका यह कथन बहुत भ्रम पूर्ण है। जो लोग यह कहते है कि भगवान महावीर ने वर्णाश्रम-धर्म को तोड़ दिया वे बड़ी गलती पर हैं । भगवान् महावीर ने वर्णाश्रम-धर्म के विरुद्ध आवाज न उठाई थी प्रत्युत उस वि, खला के प्रति उठाई थी जिसने वर्णाश्रम-धर्म मे घुस कर उसको बड़ा ही भयङ्कर बना रक्खा था । उन्होंने ब्राह्मणों की उस स्वार्थपरता के विरुद्ध आवाज उठाई थी जिसके कारण शूद्र बुरी तरह से कुचले जा रहे थे। भगवान महावीर वर्णाश्रम-धर्म के नाशक न थे प्रत्युत उसके संशोधक थे।
मतलब यह कि उस समय में जैसा वर्णाश्रम-धर्म प्रच