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भगवान् महावीर
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लित हो रहा था, उसको संशोधन करना आवश्यक था, भगवान्बुद्ध और महावीर ने ऐसा किया भी। उन्होंने वर्णाश्रम-धर्म की उस सब असभ्यता को नष्ट कर दिया जो मनुष्यजाति के पतन का कारण थी। जातक कथाओ से पता चलता है कि उस समय सब वर्णों और जातियों के मनुष्य परस्पर एक दूसरे का धंधा करने लग गये थे, ब्राह्मण लोग व्यापार भी करते थे । वे कपडा बुनते हुए, बढ़ई का काम करते हुए और खेती करते हुए भी पाये जाते थे। नत्रिय लोग भी व्यापार करते थे। लेकिन इन कामो से इनकी जातियो तथा वर्णों में कोई गड़बड़ पैदा न होती थी। ___तात्पर्य यह है कि भगवान महावीर के पूर्व भारत की सामाजिक और नैतिक दशा का भयङ्कर पतन हो गया था । धार्मिक स्थिति का उससे भी कितना अधिक गहरा पतन हो गया था, यह आगे चल कर मालूम होगा।
धार्मिक-स्थिति भगवान महावीर के समय में भारत की धार्मिक अवस्था बहुत ही भयङ्कर थी। पशुयज्ञ और बलिदान उस समय अपनी सीमा पर पहुँच गया था। प्रति दिन हजारों निरपराध पशु तलवार के घाट उतार दिये जाते थे। दीन, मूक, और निरपराध पशुओं के खून से यज्ञ की वेदी लाल कर ब्राह्मण लोग अपने नीच स्वार्थ की पूर्ति करते थे। जो मनुष्य अपने यत्र में जितनी ही अधिक हिंसा करता था, वह उतना ही पुण्यवान समझा जाता था। जो ब्राह्मण पहले किसी समय