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________________ ३६९ भगवान् महावीर के प्रतिकार की शोध में हैं। उनके लिए श्राध्यात्मिक उपदेश की आवश्यकता है। 'अध्यात्म' शब्द 'अधि" और "आत्मा" इन दो शब्दों के के मेल से बना है । इसका अर्थ है आत्मा के शुद्ध स्वरूप को लक्ष्य करके उसके अनुसार धर्ताव करना । संसार के मुख्य दो तत्व जड़ और चेतन - जिनमें से एक को जाने बिना दूसरा नहीं जाना जा सकता है इस आध्यात्मिक विषय में पूर्णतया अपना स्थान रखते हैं । " श्रात्मा क्या चीज हैं ? आत्मा को सुख दुख का अनुभव कैसे होता है ? सुख दुम के अनुभव का कारण स्वयं श्रात्मा ही है या किसी अन्य के संसर्ग से आत्मा को सुख दुख का अनुभव होता है । श्रात्मा के साथ कर्म का सम्बन्ध कैसे होता है वह सम्वन्ध श्रादिमान है या अनादि १ यदि अनादि है तो इसका उच्छेद कैसे हो सकता है-कर्म के भेद प्रभेदों का क्या हिसाब है। कार्मिक वय, उदय और सत्ता कैसे नियम बद्ध है ?" अध्यात्म में इन सब बातों का भली प्रकार से विवेचन है | इसके सिवा अध्यात्म विषय मे मुख्यतया संसार की असारता का हूबहू चित्र सींचा गया है । अध्यात्म शास्त्र का प्रधान उपदेश भिन्न भिन्न भावनाओं को स्पष्टतया ममता के ऊपर दबाव रखना है । समझा कर मोह दुराग्रह का त्याग, तत्व श्रवरण की इच्छा, सन्तो का समागम साधुपुरुषों के प्रति प्रीति, तत्वों का श्रवण, मनन और अध्य - वसन, मिध्यादृष्टि का नाश, सम्यकदृष्टि का प्रकाश, क्रोध 1 २४
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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