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भगवान् महावीर
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OLDERA
यहां पर इसी विषय का एक ऐतिहासिक उदाहरण पाठको के सम्सुख पेश करते हैं ।
गुजरात के अन्तिम सोलंकी राजा दूसरे भीमदेव के समय मे एकबार उनकी राजधानी "अनहिलपुर" पर मुसलमानो का आक्रमण हुआ । राजा उस समय राजधानी मे उपस्थित न था केवल रानी वहां मौजूद थी । मुसलमानो के आक्रमण से राज्य की किस प्रकार रक्षा की जाय इसके लिये राज्य के तमाम अधिकारियों को बड़ी चिन्ता हुई। उस समय दण्डनायक अथवा सेनाध्यक्ष के पद पर “आभू" नामक एक श्रीमाली वणिक था । वह उस समय उस पद पर नवीन ही आया था । यह व्यक्ति पक्का धर्माचरणी था । इस कारण इसकी रण चतुरता पर किसी को पक्का विश्वास न था, एक. तो राजा उस समय वहां उपस्थित न था, दूसरे कोई ऐसा पराक्रमी पुरुप न था जो राज्य की रक्षा का विश्वास दिला सके और तीसरे राज्य में युद्ध के लिये पूरी सेना भी न थी । इससे रानी को और दूसरे अधिकारियों को अत्यन्त चिन्ता हो गई । अन्त मे बहुत विचार करने के पश्चात् रानी ने "भू" को अपने पास बुलाकर शहर पर आने वाले भयंकर संकट की -- सूचना दी और उसकी निवृति के लिये उससे सलाह पूछी । दण्ड नायक ने अजन्त नम्र शब्दों में उत्तर दिया कि यदि महारानी साहिबा मुझ पर विश्वास करके युद्ध सम्बन्धी पूर्ण सत्ता मुझे सौंप देगी तो मुझे विश्वास है कि मैं दुश्मनों के हाथों से पूरी तरह रक्षा कर लूंगा उत्साह दायक कथन से आनन्दित हो रानो ने
अपने देश की
।
आभू के इस उसी समय युद्ध