SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 285
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २९५ भगवान महावीर जैन राज्याधिकारियों को जो स्थान प्राप्त है, वह शायद दूसरों को न होगा। केवल गुजरात ही में नहीं प्रत्युत् भारत के इतिहास में भी बहुत से अहिंसक राजाओं की वीरता के दृष्टान्त देखने को मिलते हैं। जिस धर्म के अनुयायी इतने पराक्रमशील और शूर वीर थे और जिन्होंने अपने पराक्रम से देश को तथा अपने राज्य को इतना समृद्ध और सत्त्वशील बनाया था उस धर्म के प्रचार से देश और प्रजा की अधोगति किस प्रकार हो सकती है। कायरता या गुलामी का मूल कारण अहिंसा कभी नहीं हो सकती। जिन देशों में हिंसा खूब जोर शोर से प्रचलित है, जिस देश के निवासी अहिंसा का नाम तक नहीं जानते, केवल मांस हो जिनका प्रधान अहार है और जिनकी वृत्तियां हिंसक पशुओ से भी अधिक क्रूर है, क्या वे देश हमेशा आजाद रहते हैं ? गेमन साम्राज्य ने किस दिन अहिंसा का नाम सुना था ? उसने कब मांस-भक्षण का त्याग किया था ? फिर वह कौन सा कारण था जिससे उसका नाम दुनिया के परदे से बिल्कुल मिट गया ? तुर्क प्रजा ने कव अपनी हिंसक और क्रूर वृत्तियों को छोड़ा था; फिर क्या कारण है कि आज वह इतनी मरणोन्मुख दशा में अपने दिन बिता रही है ? स्वयं भारतवर्ष का ही उदाहरण लीजिए। मुगल सम्राटों ने किस दिन अहिंसा की धाराधना की थी, उन्होंने कव पशु-वध को छोड़ा था; फिर क्या कारण है कि उनका अस्तित्व नष्ट हो गया ? इन उदाहरणों से स्पष्ट जाहिर होता है कि देश की राजनैतिक उन्नति और अवनति में हिंसा अथवा अहिंसा कोई कारणभूत नहीं है।
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy