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भगवान महावीर
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उन्होने कई सुदृढ़ अनुमान प्रमाण भी दिये हैं। पर उनमे सत्य का कितना अश है यह नहीं कहा जा सकता। जो हो, पार्श्वनाथ के अनुयायियो ने प्राचीन और नवीन भिक्षुओ की एक महासभा मे इस परिवर्तन को स्वीकार कर लिया। कितने ही विद्वानों का मत है कि इस समझोते मे वस्त्र रखने तथा न रखने का जो मतभेद शान्त हुआ था। वही आगे चल कर भद्रवाह के समय मे फिर खड़ा हो गया और उसी समय जैन साधुओं में श्वेतान्बर “और दिगाम्वर के फिरके पड़ गये ।
शिष्य और गणधर कल्पसूत्र के अन्तर्गत भगवान महावीर के गणधरो, मुनियों, आणिकाओं, श्रावकों और श्राविकाओं की संख्या उनका दरजा, कुल तथा गौत्र का विस्तृत विवरण दिया गया है। पाठकों की जानकारी के निमित्त संक्षिप्त रूप से उनका विवरण यहाँ दिया जाता है:नाम गौत्र
शिज्य १. इद्रभूति गौतम गौत्र ) ५०० श्रमणों का २. अग्नि भूति
एक वृक्ष ३. वायु भूति " ४. आर्ण्य व्यक्त भरद्वाज गौत्र । ५. सुधमोचाय्य अग्निवैश्यायन गौत्र) ६. मण्डी पुत्र वसिष्ट गौत्र ' १२५० श्रमणों का वृक्ष ७. मौर्य पुत्र काश्यप गौत्र (२५० , का एक वृक्ष