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________________ भगवान महावीर मनुष्य की उन्हीं प्रवृत्तियो का क्रमविकास है जो साधारण मनुष्यों मे भी पाई जाती हैं। मनोविज्ञान के उन सब सूक्ष्म तत्वों का महावीर के जीवन में समावेश था। जो हम लोगों के अन्दर भी पाये जाते हैं। अन्तर केवल इतना ही था कि हम लोग अपनी कमजोरी के कारण या यों कहिये कि नैतिकवल की हीनता के कारण उन तत्त्रों का विकास करने में असमर्थ रहते हैं। हम प्रकृति की दी हुई अपार शक्तियो को अपनी दुर्बलता के कारण नही पहचान पाते हैं और महावीर ने अपने असीम पुरुपार्थ के तेज से, अपने अपार नैतिक बल के साहस से अपनी सब शक्तियो को पहचान लिया था। उन्होने बहुत ही बहादुरी के साथ उन सब मोह के आवरणो को फाड़कर फेंक दिया था जो मनुष्य की दिव्य शक्तियों पर पड़े रहते हैं। "महावीर," "महावीर" थे, उनमें इच्छाओं को दमन करने की असीम शक्ति थी। उनमे मनोविकारो पर विजय पाने का अद्भुत पुरुषार्थे था। वे हमारे समान साधारण मनुष्यों की तरह कमजोर न थे-इच्छाओ के गुलाम-नथे। उनमें चरित्र का तेज था, ज्ञान का बल था वे मानव जीवन की वास्तविकता को समझते थे। हां वे उन तत्त्वों के अनुगामी थे जिनके द्वारा मनुष्य परम-पद को, अपने वास्तविक रूप को प्राप्त कर सकता है। इसी कारण भगवान महावीर हमारे आदर्श हैं। इसी कारण वे संसार के पूजनीय हैं। ___भगवान महावीर में इतर लोगो से क्या विशेषता थी। वे एक साधारण राजघराने में पैदा हुए थे। हमारे इतने सुयोग्य भी उनको प्राप्त न थे। यह बात हर कोई जानता है कि, एक
SR No.010171
Book TitleBhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraraj Bhandari
PublisherMahavir Granth Prakashan Bhanpura
Publication Year
Total Pages435
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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