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भगवान महावीर
इस समय इन्हे केवल्य की भी प्रप्ति हुई। केवल्य प्राप्ति के पश्चातइन्होने ३० वर्षे तक जनता को धार्मिक उपदेश दिया।
भगवान महावीर का उपदेश कितना दिव्य -और उज्वल था, इसका विवेचन करते हुए साहित्य सम्राट रवीन्द्रनाथ टैगोर
Mababir proclaimed in India the message of salvation that religion is a reality and not a mere social conyention, that salvation comes from taking reluge in that true religion and pot for observing the external ceremonies of the community, that religion can not regard any barrier between man and man as an eternal verity Wondrous to relate, this teaching rapidly overtopped the barriers of the race's abiding instinct and conqured the whole country for a long peğiod now the influence of kshatriya teachers completely suppressed the Brahmin power
"महावीर ने भारतवर्ष को ऊँचे स्वर से मोक्ष का सदेशा दिया। उन्होने कहा कि धर्म केवल सामाजिक रूढ़ि नहीं है, बल्कि वास्तविक सत्य है। मोक्ष केवल साम्प्रादिक वाह्य क्रियाकाण्ड से नहीं मिल सकता प्रत्युत सत्य धर्म के स्वरूप का आश्रय लेने से प्राप्त होता है, धर्म के अन्तर्गत मनुष्य और मनुष्य के वीच रहने वाला भेद भाव कभी स्थायी नहीं रह सकता । कहते हुए आश्चर्य होता है कि, महावीर की इस शिक्षा ने समाज के हृदय में जड़, जमा कर पूर्व संस्कारो से बैठी हुई भावनाओ को बहुत शीघ्र नेस्तनाबूद कर और सारे देश को वशीभूत कर लिया। महावीर के पश्चात् भी बहुत काल तक क्षत्रिय लोगों के उपदेशा के प्रभाव से ब्राह्मणों की सत्ता अमिभूत रही।