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१८८ भगवान महावीर की सूक्तियां
५७१ असासए सरीरम्मि, रइ नोवलभामह। पच्छा पुरा व चइयव्वे, फेणवुब्बुय सन्निभे
५७२ जीविय चेव रुव च, विज्जुसपाय चञ्चल जत्थ त मुज्झसिराय पेच्चत्य नाव वुज्झसि
५७३ जो परिभवइ पर जण, ससारे परिवत्तई मह । अदु इंखिणिया ऊ पाविया, इति संखाय मुणीण मज्झई ।
५७४ जेण सिया तेण गोसिया इणमेव नाव बुज्झन्ति जे जरणा मोह पाउडा
५७५ जह तुब्भे अह अम्हे तुम्हे, वि होहिहा जहा अम्हे अम्पाहेइ पडत पंडुअ, पत्तं किस लयाणं