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(१२७) जी! आप के आदेशानुसार मैने उस के तमाचा मार दिया है। इधर तमाचा खाकर लडका रोता हुआ अपने पिता के पास गया। पिता ने रोने का कारण पूछा, तो बोला-मुझे अमुक लडके ने मारा। विना कारण पुत्र की मारपीट की बात सुन कर पिता को क्रोध आ गया और तत्काल जाकर उस ने तमाचा मारने वाले लडके को पकड लिया, लगा उस के तमाचे टिकाने, तो उस लडके ने कहा-मेरा क्या दोष है ? मुझे तो पिता जी ने कहा था। पिता जी के कहने पर ही मैंने इस के तमाचा मारा है। अव कहिए, दोषी कौन है ? यदि गभीरता से विचार किया जाए तो किस. को दोषी ठहराया जायगा ?. उत्तर स्पष्ट है.। जिस की आज्ञा से जो कार्य हुआ है. उस से होने वाली हानि का उत्तरदायित्व आज्ञा देने वाले पर ही रहता है, आज्ञा मानने वाले पर नही। सेनापति यदि सेना को किसी स्थान पर आक्रमण करने की, आज्ञा प्रदान करता है तो उसकी जवाबदारी सेनापति पर,है। जनता पर लाठी-चार्ज (Larhi Charge) करने वाले सिपाहियो पर लाठी चार्ज , का कोई उत्तरदायित्व नही होता, उस का उत्तरदायित्व तो लाठी-चार्ज का हुक्म देने वाले मैजिस्ट्रेट (Magistrate) पर हुआ करता है। ठीक इसी प्रकार यदि यह मान लिया जाए कि सब कुछ भगवान या ईश्वर के हुक्म से होता है, तो उस हुक्म को मानने वाले लोगो ने जो कुछ किया है, उसका उत्तरदायित्व भी ईश्वर पर रहेगा, उस उत्तरदायित्व से ईश्वर कभी बच नहीं सकता। जब जीवन की प्रत्येक शुभाशुभ प्रवृत्ति का मूल ईश्वर है, उसी की प्रेरणा से या आज्ञा से जीवन मे सब घटनाएं घटित होती है. तब घटनाजन्य परिणामो का