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(८३) चमत्कार है । मनुष्य को एक विशेप प्रकार का मिक्चर पिला दिया जाता है, उस मिक्चर के शरीर मे प्रविष्ट होते ही मनुष्य का शरीर ही रेडियो वन जाता है, उस से रेडियो का कार्यक्रम सुना जा सकता है।
५. टेलीवीजन इस के द्वारा घर बैठा व्यक्ति किसी भी सिनेमा के खेल देख सकता है। __ इस के अलावा अन्य भी अनेको ऐसे दृश्य प्रस्तुत किए गए थे कि जिन से परमाणुप्रो की कार्यक्षमता का वडी सुन्दरता के साथ बोध हो जाता है । जव विना हाथ लगाए केवल मुख से निकले परमाणुपुज के प्रभाव से बल्व प्रकाशित हो जाता है और व्यक्ति के सामने आने पर नल पानी गिराने लग जाता है, तो आत्मप्रदेशो पर लगा परमाणुपुज यदि जीवन मे किसी भी प्रकार को उथल-पुथल ले आता है, तो इस मे आश्चर्य वाली कौनसी बात है ? रेडियो आपके सामने है । उस से हजारों मोल दूर, घर बैठे आप सगीत सुनते है । भापणो का लाभ लेते है। अनुमान लगाइए, बोलने वाला कहा बैठा है और सुनने वाला कहा ? पर यन्त्र भापा के परमाणुओ को पकड लेते है और उन्हे भाषा के रूप मे ही लोगो तक पहुचा देते है । यह सब परमाणुवाद का विचित्र चमत्कार नही तो और क्या है ? इस चमत्कार मे ईश्वर या किसी देवी देवता की कोई परोक्ष शक्ति काम नही कर रही है । भगवान महावीर का कर्मवाद भी परमानुप्रो के विविध चमत्कारो का ही एक रूपान्तर है। कर्मयोग्य परमाणु जब अात्मा से मिल जाते है तो समय आने पर वे भी नानाविध अद्भुत दृश्यो और