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________________ में जब पाच दिव्यो की वर्षा हुई तो इसमे गोशालक और भी अधिक प्रभावित हुआ। एक दिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन भिक्षा को जाते समय गोशालक ने भगवान से पूछा-'महात्मन् । आज मुझे भिक्षा मे क्या मिलेगा ?" भगवान तो मौन रहे, पर उन के चरण-मेवक सिद्धार्थ देव ने इन्ही की ओर से कहा - "बासी भात, खट्टी छाछ और एक खोटा रुपया।" ___गोशालक यह भविष्यवाणी भगवान की ही समझता था, अत इसे मिथ्या प्रमाणित करने के लिये उसने बड़ा प्रयास किया, वह नगर के बडे-बडे सेठो के घर भी गया, परन्तु सभी स्थानो मे वह निगश ही लौटा। अन्त मे एक लुहार के यहा उसे बासी भात, खट्टी छाछ और दक्षिणा मे एक खोटा रुपया ही प्राप्त हुआ। ___ इस प्रकार भविष्यवाणी की सत्यता के प्रमाणित होने पर उसके मन पर बडा गहरा प्रभाव पड़ा। उसके मन मे भगवान के व्यक्तित्व के प्रति महान् आस्था हो गई। इस घटना मे उसने यह भी विचार किया कि जो कुछ होनेवाला होता है वह पहले ही नियत अर्थात् निश्चित होता है, इसलिये नियतिवाद' का सिद्धान्त ही वास्तविक और सर्व श्रेष्ठ है। इसके अतिरिक्त, उसने निश्चय किया कि ऋद्धि-सिद्धि प्राप्त करने के लिये मुझे महावीर का शिष्य वन जाना चाहिये । दूसरा चातुर्मास · ___नालन्दा का चातुर्मास सम्पूर्ण होने पर भगवान महावीर ने वहां मे विहार कर दिया और वे कोल्लागसन्निवेश मे पधार गए। वही पर उन्होने चौथे मास-क्षमण का पारणा किया। पूर्ववत् पाच दिव्यो की वर्षा यहा पर भी हुई। गोगालक को जब भगवान के विहार का पता चला तो वह भी भगवान को ढूढता हुआ कोल्लाग-सन्निवेश मे आ गया और प्रभु के चरणो मे प्रणत होकर उस ने प्रार्थना की-"भगवन् । आज मे ग्राप मेरे धर्माचार्य है, गुरुदेव है और मैं आपका चरण-सेवक शिष्य बनता हू-" भगवान मौन ही रहे। गोशालक ने आग्रह पूर्वक अपनी बात को २ जो होना है, वह अवश्य होगा, यही सिद्धान्त नियतिवाद है। [ दीक्षा-कल्याणक
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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