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________________ २ पुस्कोकिल नर कोयल को कहते हैं, इसका स्वप्न-दर्शन"आप को शुक्ल ध्यान प्राप्त होगा" इस अभिप्राय को अभिव्यक्त करता है। ध्यान के अनेक प्रकारो मे से शुवल-ध्यान सब से उत्तम एव प्रशस्त च्यान माना गया है । इसकी आपको अवश्य ही प्राप्ति होगी। ३. विचित्र वर्णवाले (रग-विरगे) पक्षी के दर्शन का अर्थ हैग्राप विविध ज्ञान रूप श्रुत की देशना देगे, द्वादशाङ्गी वाणी का प्रकाश करेगे। ४ श्वेत गोवर्ग (गो-समुदाय) को देखने से आप साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका रूप चतुर्विध सघ को स्थापित करेंगे। ५ विकसित पद्मसरोवर देखने से भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिप्क और वैमानिक ये चार प्रकार के देव आप की सेवा करेगे। ७ समुद्र को तैर कर पार करने से आप एक दिन ससार-सागर को पार करेगे। ७. विश्व को आलोकित करते हुए उदीयमान सूर्य को देखने मे आप केवल-ज्ञान अधिगत करेंगे। ८ अातो से मानुपोत्तर पर्वत को वेष्टित करने से आप की कीर्ति सारे मनुष्य लोक मे प्रसारित होगी। ६. मेरु पर्वत पर चढने से आप धर्म-सिंहासन पर बैठ कर देवो और मनुप्यो को धर्मोपदेश देगे। १० आपने देदीप्यमान जो दो रत्न मालाए देखी हैं, इस स्वप्न का अभिप्राय मैं तो नही समझ सका।" निमित्तज्ञ की यह बात सुन कर भगवान ने तत्काल उत्तर दिया कि इस स्वप्न को देखने का अर्थ है कि "मैं साधु-धर्म और श्रावक-धर्म का कथन करुगा।" १ भगवान महावीर ने जो मौन रहने की प्रतिज्ञा की थी उसका अभिप्राय यही था कि, जहा बोलनो अत्यधिक पावश्यक होगा, वहीं वोलूगा, अन्यथा मौन ही रहूगा । अत एक अत्यधिक आवश्यक प्रश्न का उत्तर देने के लिये भगवान का बोलना उनकी प्रतिज्ञा के विरुद्ध नही कहा जा सकता। पञ्च-कल्याणक] [२७
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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