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________________ वाली) मेघवती, सुमेधा आदि नाम महावीर के जन्मकाल से ही राज्य के लिये मुवृष्टि का सकेत कर हैं। पूर्वदिशा से आनेवाली नन्दोत्तरा (आनन्द-कारिणी) नन्दा, अानन्दा, विजया आदि दिशा कुमारिया सुख एव आनन्द के सवर्धन के आगमन की सूचना दे रही हैं। दक्षिण से आनेवाली, यगोवरा, लक्ष्मीवती, वसुन्धरा आदि दिशाकुमारिया, यश, लक्ष्मी एव रत्न-भण्डार की अधिकता को व्यजित कर रही हैं। पश्चिम दिशा से आनेवाली पद्मावती, सीता, भद्रिका आदि रुचक पर्वत निवासिनी दिशाकुमारियां रुचिकारक वातावरण के निर्माण की ओर सकेत कर रही है, अतएव इनके हाथो मे पखे होने का निर्देश किया गया है। उत्तर से आनेवाली हासा, सर्वगा, श्री, ह्री (लज्जा) ये दिशाकुमारिया मुम्कान लक्ष्मी, लज्जाशीलता आदि गुणो के आगमन को प्रकट कर रही है। चित्रा, चित्र-कनका आदि चार दिगाकुमारिया जो चारो दिशाकोणो से आई थी वे सुख-समृद्धियो की विविधता का सकेत दे रही हैं। मध्यमार्ग से आनेवाली रूपा, रूपांगा, मुरूपा और रूपवती ये दिशाकुमारिया सौन्दर्य-वृद्धि को व्यजित कर रही है। ___ इस वर्णन की सांकेतिक अर्थ-प्रणाली भगवान् महावीर के जन्म लेते ही वैशाली मे शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एव सभी प्रकार की समृद्धियो के आगमन की सूचना दे रही हैं। इसके अनन्तर कल्पसूत्र मे सुधर्मा स्वामी वहा पर देवो-सहित इन्द्र और इन्द्राणी के आगमन, उनके द्वारा महावीर को मेरु पर्वत पर ' ले जाने और वहा पर उनके अभिषेक की सूचना देते है । यदि इस घटना का भी प्रतीकात्मक अर्थ स्वीकार कर लिया जाय तो आज के बुद्धिवादी की परितुष्टि हो जाएगी। __ "सौधर्म देव लोक' से 'इन्द्र' का आगमन यह सूचना देता है पञ्च-कल्याणक] [२७
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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