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________________ भारत के भाग्य खुल गए, पाप-पक के कलक घुल गए । हिमा की सहनन शक्तियों का सहनन हो गया, पाखण्ड खो गया, टियो का वल सो गया। जनता मे जागृति ग्राई, उसने नवचेतना पाई, पुण्य की लहर दौडी, पाप प्रवृत्ति छोडी, माया के बन्धन तोडे, समस्त दुष्कृत्य छोडे । भारत का इतिहास उल्लास से भर गया, उसके कोरे पृष्ठो पर स्वर्णाक्षर प्रति होने लगे, सुप्त श्रहिंसा जागी, चोवृत्ति भागी, सत्य - ख खोली, मुखरित हुई ब्रह्मचर्य की बोली, परिग्रह पल्ला छुड़ा कर चल पडा, श्रमण-संस्कृति का झण्डा गडा । सिसकती मानवता मुस्करा उठी, हिंसा कराह उठी । तीथंडर के जय-जयकारों से श्रम्बर भर गया, जग तर गया । उनके जन्म के प्रभाव से अपराधियों ने अपराध करने छोड दिए । महाराज सिद्धार्थ ने बड़े-बड़े अपराधियो के अपराधों को क्षमा कर दिया, राज्य भर के वन्दीगृह खाली हो गए। मारा क्षत्रिय कुण्ड उल्लास और प्रसन्नता का कुण्ड ही बन गया । निरन्तर दस दिन तक जन्म - महोत्सव की चहल-पहल मे वैशाली प्रानन्दशालिनी बनी रही। जैनो की धार्मिक ग्रास्था के अनुसार इस जन्मोत्सव मे इन्द्र, देवगण तथा दिशा - कुमारियो ने भी भाग लिया था, उनका मेरुपर्वत पर जन्म अभिषेक किया गया था । हो सकता है कि यह देवोत्सव की घटना भी ग्राज के भौतिक युग मे बुद्धिवादी स्वीकार न करे, ऐसी दशा में इस घटना का आध्यात्मिक अर्थ भी किया जा सकता है । भगवान् महावीर के जन्म लेते ही प्रसूतिगृह में छप्पन दिशा कुमारियो का ग्रागमन हुआ - इन छप्पन दिशाकुमारियो के नाम और दिशाए यह संकेत करती हैं कि सभी दिशाओ की समृद्धिया उस दिन माता त्रिशला के घर में प्रविष्ट हो गई जिस दिन भगवान् महावीर वहा प्रकट हुए - जैसे पृथ्वी के नीचे रहनेवाली भोगकरा ( सुख साधनो को जन्म देनेवाली) भोगवती आदि दिशा कुमारियो ने प्रसूतिगृह को शुद्ध और सुगन्धित किया । पृथ्वी का गन्ध गुण प्रसिद्ध ही है और पृथ्वी के निवानो से हम अपरिचित भी नही हैं । श्राकाश से आने वाली दिशाकुमारिया, मेघकरा (मेघ-बनाने [ जन्म-कल्याणुक ३६ ]
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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