SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के साथ राज-महल को सुगोभित करे। महावीर : भावी शिशु अज्ञानान्धकार को दूर कर जगत को शीतलता अर्थात् शान्ति प्रदान करेगा। ७ सूर्य माता त्रिशला : मेरा पुत्र सूर्यसम तेजस्वी हो। महावीर : भावी शिशु तप -तेज से मण्डित एव सर्वव्यापक ज्ञान से आलोकित होगा। ८. ध्वजा माता निशला : मेरा पुत्र अपने कुल के यश की ध्वजा सर्वत्र फहरा दे और वह जगद्-वन्ध वने । महावीर : भावी शिशु सर्वत्र धर्म-ध्वजा फहराएगा और जगद् वन्ध होगा। 8. कलश मासा विशला : मेरो भावी सन्तान सभो दृष्टियो से परिपूर्ण हो । महावीर : भावो शिशु ज्ञानामृत का वह पूर्ण कलश होगा जिसको एक बू द पाकर भी लोग धन्य हो जाया करेगे । १०. पद्म-सरोवर माता त्रिशला : मेरा भावी शिशु अपनी राजधानी को सुन्दर बनाए और मेरा परिवार पौत्र-प्रपौत्रो से परिपूर्ण हो । महावीर : भावी शिशु साधु-सघ का विस्तार करेगा और उसका अपना जीवन कमल-पत्र सा निर्लेप होगा। ११. क्षीर-समुद्र माता त्रिशला : मेरे परिवार मे शाति और समृद्धियां निवास करें। महावीर : भावी शिशु का सघ दुग्ध-सिन्धु-सा पवित्र और उसके सिद्धान्त सर्व सुखकारी होगे। १२. देव-विमान माता त्रिशला : मेरे घर में जो भी बालक हो वह कोई स्वर्गीय विभूति हो, नारकीय जीव नही । पञ्चकल्याणक ] . [१५
SR No.010168
Book TitleBhagavana Mahavira ke Panch Kalyanaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakdhar Shastri
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages203
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy